चीन के इस खतरनाक प्रयोग से दहशत में दुनिया, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
China Dirty Bomb Test: दुनियाभर में परमाणु हथियार बनाने की होड़ लगातार तेज हो रही है। इसी बीच चीन ने एक ऐसा बम विकसित करने का दावा किया है, जो परमाणु हमले को रोकने में सक्षम हो सकता है। इसे ‘डर्टी बम’ कहा जा रहा है। हालांकि रविवार को चीन में हुए इसके परीक्षण में वैज्ञानिकों को सफलता नहीं मिली।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट पर संयुक्त लॉजिस्टिक सपोर्ट फोर्स यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग और रॉकेट फोर्स रिसर्च इंस्टीट्यूट ने मिलकर काम किया। दोनों संस्थानों ने डर्टी बम का संयुक्त परीक्षण किया, लेकिन पहली कोशिश असफल रही। वैज्ञानिकों ने कहा है कि आगे और प्रयास किए जाएंगे ताकि इसकी कार्यक्षमता को साबित किया जा सके।
डर्टी बम दिखने में परमाणु बम जैसा है लेकिन इसका उद्देश्य अलग है। जहां परमाणु बम तबाही मचाने के लिए होता है, वहीं डर्टी बम का मकसद परमाणु प्रभाव को रोकना बताया जा रहा है। इसमें भी रेडियोधर्मी पदार्थ जैसे प्लूटोनियम या सीजियम का इस्तेमाल किया जाता है। चीनी वैज्ञानिकों के अनुसार, इस बम में करीब 62 किलोग्राम प्लूटोनियम इस्तेमाल किया जा सकता है।
जब परमाणु विस्फोट होता है तो रेडियोधर्मी धुआं और कण वायुमंडल में फैल जाते हैं। यही धुआं तबाही मचाता है। चीन के वैज्ञानिकों का दावा है कि डर्टी बम इस धुएं को या तो नियंत्रित कर सकता है या उसे वायुमंडल के ऊपरी हिस्से में दबा सकता है, जिससे जमीन पर रहने वाले लोगों पर इसका असर कम होगा।
इस तकनीक को परमाणु हथियारों का काट बताया जा रहा है। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी से जुड़े विशेषज्ञ लिन युआनये ने कहा कि मौजूदा परमाणु हथियारों की होड़ में यह बम एक संभावित “संजीवनी” साबित हो सकता है।
चीनी वैज्ञानिकों का दावा है कि अगर परीक्षण सफल होता है तो एक डर्टी बम लगभग 10 किलोमीटर के दायरे को परमाणु हमले से बचा सकता है। यह वैश्विक सुरक्षा ढांचे में एक बड़ा बदलाव ला सकता है।
यह भी पढ़ें:- सबकुछ ठप… लाखों अमेरिकी परेशान, अब ट्रंप बोले- जल्द खत्म होगा सरकारी शटडाउन
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट के अनुसार, रूस के पास सबसे ज्यादा 5,449 परमाणु हथियार हैं। अमेरिका 5,277 हथियारों के साथ दूसरे स्थान पर है। चीन के पास करीब 600 परमाणु हथियार हैं और वह हर साल 100 नए हथियार बना रहा है। फ्रांस (290), ब्रिटेन (225), भारत (180), पाकिस्तान (170), उत्तर कोरिया (50) और इजराइल (90) भी परमाणु क्लब के सदस्य हैं। चीन का यह नया प्रयोग भले असफल रहा हो, लेकिन इसने दुनिया के अन्य परमाणु देशों को एक नए दौर की प्रतिस्पर्धा के लिए चेतावनी जरूर दे दी है।