ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय के सिस्टम पर बड़े साइबर हमले का खुलासा, सांकेतिक फोटो (सो. आईएएनएस)
Britain News In Hindi: ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय (FCDO) पर हुए एक बड़े साइबर हमले की खबर सामने आने के बाद देश की राजनीतिक और सुरक्षा व्यवस्था में हलचल मच गई है। यूके मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस साइबर अटैक में विदेश कार्यालय के उन सिस्टमों को निशाना बनाया गया जिनमें अत्यंत संवेदनशील और गोपनीय दस्तावेज संग्रहीत थे।
आशंका जताई जा रही है कि इस हमले में हजारों अहम फाइलों और वीजा से जुड़े डेटा तक पहुंच बनाई गई। यूके के ट्रेड मंत्री क्रिस ब्रायंट ने मीडिया से बातचीत में इस बात की पुष्टि की कि एफसीडीओ के सिस्टम में हैकिंग की घटना हुई है। हालांकि, उन्होंने साफ कहा कि इस हमले के लिए जिम्मेदार कौन है यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं है।
ब्रायंट के अनुसार, यह साइबर हमला कुछ महीने पहले हुआ था और सरकार को इसकी जानकारी अक्टूबर में मिल गई थी। उन्होंने बताया कि जिस तकनीकी खामी के जरिए हैकिंग को अंजाम दिया गया था उसे समय रहते बंद कर दिया गया।
हालांकि टैब्लॉयड अखबार ‘द सन’ ने दावा किया है कि यह हमला स्टॉर्म-1849 नामक एक चीनी हैकिंग समूह ने किया। रिपोर्ट के मुताबिक, इस समूह ने विदेश कार्यालय के सर्वरों को निशाना बनाकर वीजा विवरण से जुड़ी जानकारी और हजारों गोपनीय दस्तावेजों तक पहुंच बनाई। पश्चिमी खुफिया एजेंसियां पहले भी इस समूह को चीन से संबद्ध जासूसी नेटवर्क का हिस्सा बता चुकी हैं।
क्रिस ब्रायंट ने हाल के वर्षों में ब्रिटेन में हुए अन्य बड़े साइबर हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि मार्क्स एंड स्पेंसर, जगुआर लैंड रोवर और ब्रिटिश लाइब्रेरी जैसे संस्थान भी ऐसे हमलों का शिकार हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि ये सभी घटनाएं इस बात का संकेत हैं कि साइबर सुरक्षा अब राष्ट्रीय सुरक्षा का अहम हिस्सा बन चुकी है और सरकार को लगातार सतर्क रहने की जरूरत है।
इस मामले को लेकर विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी ने लेबर सरकार पर तीखा हमला बोला है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार चीन के संभावित हस्तक्षेप से देश की सुरक्षा, संस्थानों और लोकतंत्र को बचाने में नाकाम रही है। यूके की पूर्व गृह सचिव प्रीति पटेल ने सोशल मीडिया पर कहा कि प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर चीन के सामने झुकते नजर आते हैं और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
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वहीं, सरकार की ओर से कहा गया है कि इस साइबर घटना की जांच जारी है और सिस्टम व डेटा की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। अधिकारियों के मुताबिक, फिलहाल किसी आम नागरिक को नुकसान पहुंचने का जोखिम बेहद कम है और स्थिति पर पूरी तरह नजर रखी जा रही है।