आटोपेन विवाद, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
वांशिगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन पर एक गंभीर आरोप लगाया है। डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि राष्ट्रपति जो बाइडन कई आधिकारिक दस्तावेजों पर खुद हस्ताक्षर नहीं करते थे, बल्कि उनके स्थान पर ऑटोपेन (Autopen) नामक एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से हस्ताक्षर किए जाते थे। इस खुलासे के बाद एक अहम सवाल उठ रहा है कि क्या देश की कमान वास्तव में बाइडन के हाथों में थी, या पर्दे के पीछे कोई और फैसले ले रहा था?
यह मुद्दा अब अमेरिकी राजनीति में बड़ी बहस का विषय बन गया है। ट्रंप ने इस पूरे मामले की गहराई से जांच कराने का आदेश दिया है, ताकि सच्चाई जनता के सामने आ सके। ट्रंप का दावा है कि बाइडेन के सलाहकारों ने उनके मानसिक स्वास्थ्य को छिपाने के लिए ऑटोपेन मशीन का इस्तेमाल कर हजारों दस्तावेजों पर बाइडेन के नकली हस्ताक्षर कराए। इनमें राष्ट्रपति की माफी, नीतिगत आदेश और नियम शामिल थे।
ऑटोपेन एक ऐसा उपकरण है जो किसी व्यक्ति के हस्ताक्षर को बिल्कुल वैसे ही नकल कर सकता है। दशकों से अमेरिकी राष्ट्रपति इसका इस्तेमाल करते आ रहे हैं। लेकिन ट्रंप का दावा है कि बाइडेन की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी, और उनके आस-पास के लोग इसका फायदा उठाकर असली निर्णय खुद ले रहे थे।ट्रंप ने इस मामले को “अमेरिकी इतिहास का सबसे बड़ा राजनीतिक घोटाला” करार दिया है। इसकी जांच की जिम्मेदारी उन्होंने अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी और व्हाइट हाउस के वकील डेविड वॉरिंगटन को सौंपी है।
कुछ समय पहले एक अमेरिकी थिंक टैंक, हेरिटेज फाउंडेशन, ने दावा किया था कि बाइडन ने कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों पर ऑटोपेन से हस्ताक्षर किए थे। ट्रंप ने इस बात पर जोर दिया कि इनमें कुछ बेहद संवेदनशील दस्तावेज भी शामिल थे। इस दावे को अमेरिकी मीडिया ने खूब बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत किया। लेकिन ट्रंप की असली चिंता इस बात से जुड़ी है कि वे मानते हैं कि बाइडन के खराब स्वास्थ्य का बहाना बनाकर उनके सहकर्मियों ने ऑटोपेन के जरिये उनके नाम पर दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाए।
इसी वजह से ट्रंप बाइडन के हस्ताक्षर वाले कई आदेशों को चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं, बाइडन की टीम ने इस आरोप को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि उनके कार्यकाल में लिए गए सभी निर्णय वे स्वयं ही लेते रहे हैं।
शेपेल मैनुस्क्रिप्ट फाउंडेशन के अनुसार, अमेरिका में ऑटोपेन का पहला पेटेंट साल 1803 में हुआ था। हालांकि, माना जाता है कि इसके पहले भी इस तरह के रोबोटिक पेन का इस्तेमाल होता रहा है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति थॉमस जेफरसन सबसे पहले इस ऑटोपेन को खरीदने वाले थे। शेपेल फाउंडेशन बताता है कि जेफरसन के बाद कई अन्य अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने भी इस पेन पर भरोसा जताया। शुरुआत में व्हाइट हाउस ने आधिकारिक तौर पर इसके इस्तेमाल को स्वीकार नहीं किया था, लेकिन समय के साथ यह एक खुला रहस्य बन गया। हालांकि, कुछ राष्ट्रपतियों ने इसका इस्तेमाल करते समय अतिरिक्त सावधानी भी बरती।
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2005 में पहली बार किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने किसी बिल पर ऑटोपेन से हस्ताक्षर करने की इच्छा जताई थी। उन्होंने ‘डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस’ से पूछा था कि क्या यह संवैधानिक होगा। जिसके बाद उन्हें इसकी अनुमति भी मिल गई थी, लेकिन उन्होंने उस बिल पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। मई 2011 में, बराक ओबामा ने फ्रांस में जी8 शिखर सम्मेलन के दौरान एक विधेयक पर ऑटोपेन से हस्ताक्षर किया। यह अमेरिकी इतिहास में पहली बार था जब किसी राष्ट्रपति ने किसी बिल पर ऑटोपेन का इस्तेमाल किया। इसके बाद उन्होंने कई अन्य विधेयकों पर भी इसी तरीके से हस्ताक्षर किए।