केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह (फोटो- सोशल मीडिया)
पेरिस: फ्रांस के नीस शहर में आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन में भारत ने महासागर संरक्षण के लिए अपनी प्रतिबद्धता को मजबूती से दोहराया। भारत ने कहा कि महासागर न सिर्फ जैव विविधता के केंद्र हैं बल्कि भारतीयों की जीवनरेखा भी हैं। भारत की ओर से बताया गया कि उसने हाई सीज संधि पर पहले ही हस्ताक्षर कर दिए हैं और अब उसकी अनुमोदन प्रक्रिया जारी है। इस संधि का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय जल में समुद्री जैव विविधता का सतत संरक्षण करना है। भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह महासागरों को साफ और सुरक्षित बनाने के लिए ठोस कदम उठा रहा है।
भारत ने महासागरों से प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करने की दिशा में ‘स्वच्छ सागर, सुरक्षित सागर’ अभियान के तहत 1,000 किलोमीटर से अधिक समुद्र तट की सफाई की है। 2022 तक 50 हजार टन प्लास्टिक कचरे को निस्तारित किया जा चुका है। इसके साथ ही महासागर अनुसंधान, नवीकरणीय ऊर्जा और ब्लू इकोनॉमी जैसे क्षेत्रों में भारत ने बड़े कदम उठाए हैं ताकि महासागर संसाधनों का संतुलित और सतत उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।
महासागरों के संरक्षण को लेकर भारत का वैश्विक संदेश
भारत ने महासागर सम्मेलन में यह संदेश दिया कि समुद्री जैव विविधता और अंतरराष्ट्रीय जल के संरक्षण के लिए वह पूरी तरह प्रतिबद्ध है। भारत ने इस अवसर पर जानकारी दी कि वह पहले ही हाई सीज संधि पर हस्ताक्षर कर चुका है और अनुमोदन की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है। यह संधि जून 2023 में अपनाई गई थी और इसके लागू होने के लिए 60 देशों की मंजूरी आवश्यक है। सम्मेलन के पहले दिन 18 और देशों द्वारा अनुमोदन किए जाने से यह संख्या अब 49 तक पहुंच चुकी है।
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स्वच्छ महासागर के लिए भारत की ठोस पहल
भारत ने सम्मेलन में समुद्री प्रदूषण, खासकर प्लास्टिक कचरे की चुनौती को रेखांकित किया और बताया कि इससे निपटने के लिए देश भर में व्यापक अभियान चलाए जा रहे हैं। स्वच्छ सागर, सुरक्षित सागर अभियान के जरिए हजारों किलोमीटर समुद्री किनारे को साफ किया गया है। इसके अलावा भारत सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने, ब्लू इकोनॉमी के लिए 80 अरब डॉलर की परियोजनाएं चलाने और ‘समुद्रयान’ मिशन जैसी पहल कर रहा है, जो 6,000 मीटर गहराई तक मानवयुक्त समुद्री अन्वेषण करेगा।