TTP की जंग में बांग्लादेशी युवा शामिल, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Pakistan News Hindi: पाकिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) के खिलाफ चल रहे सैन्य अभियानों ने एक चौंकाने वाला सच सामने लाया है। अब इस आतंकी संगठन में बांग्लादेश के युवा भी तेजी से शामिल हो रहे हैं। हाल ही में पाकिस्तान सेना ने खैबर प्रांत में एक बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया, जिसमें दो बांग्लादेशी युवक मारे गए।
रिपोर्ट के मुताबिक, इन दोनों की पहचान रतन ढल (29) और फैसल हुसैन (22) के रूप में हुई है। पुलिस के अनुसार, दोनों युवक 2024 में TTP में शामिल हुए थे। वे पिछले एक साल से पाकिस्तान में सक्रिय थे और सेना के खिलाफ जिहादी गतिविधियों में हिस्सा ले रहे थे।
स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट बताती है कि करीब 100 बांग्लादेशी युवा, जिनकी उम्र 30 साल से कम है, इस वक्त टीटीपी की तरफ से पाकिस्तान के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं। इनमें से अधिकांश को पहले रोजगार का झांसा देकर पाकिस्तान भेजा गया और बाद में उन्हें टीटीपी से जोड़ दिया गया।
बांग्लादेश सरकार ने हाल ही में इस पूरे नेटवर्क की जांच शुरू करने का ऐलान किया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ढाका और अन्य बड़े शहरों में कई इस्लामिक एजेंट युवाओं को बरगलाने और उन्हें टीटीपी तक पहुंचाने में लगे हुए हैं। इन युवाओं को पाकिस्तान भेजने से पहले ढाका में ही बुनियादी ट्रेनिंग दी जाती है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की रिपोर्ट में बताया गया है कि तहरीक-ए-तालिबान दुनिया का तीसरा सबसे खतरनाक आतंकी संगठन है। इसके पास वर्तमान में 8,000 प्रशिक्षित लड़ाके हैं। इसका सरगना नूर महसूद वली अफगानिस्तान से इस पूरे नेटवर्क को नियंत्रित करता है।
टीटीपी का घोषित उद्देश्य पाकिस्तान को एक कट्टर इस्लामिक देश में बदलना है। वहीं, अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुताकी ने दावा किया कि 2001-02 में पाकिस्तान द्वारा आदिवासी इलाकों में किए गए दमन के बाद ही यह संगठन बना था। उन्होंने कहा कि इसमें शामिल अधिकांश लोग वही हैं, जिन्हें पाकिस्तान ने निर्वासित किया था।
दूसरी ओर, पाकिस्तान का आरोप है कि अफगानिस्तान सरकार टीटीपी को शरण और हथियार दे रही है। पाकिस्तान का कहना है कि अफगान सरकार के इशारे पर ये आतंकी काम कर रहे हैं।
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साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल (SATP) की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले पांच सालों में टीटीपी के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान के 1,920 सैनिक मारे जा चुके हैं। रिपोर्ट के अनुसार, अगर बांग्लादेशी युवाओं की यह भागीदारी बढ़ती रही, तो टीटीपी की ताकत और विस्तार को रोकना पाकिस्तान के लिए और मुश्किल हो सकता है।