बांग्लादेश में सामूहिक हत्या और बलात्कार के आरोपी अजहरुल इस्लाम बरी होकर बाहर निकला (फोटो- सोशल मीडिया)
ढाका: बांग्लादेश में एक ऐसा फैसला आया जिसने देश ही नहीं, पूरी दुनिया को चौंका दिया। 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान हत्या, अपहरण और बलात्कार के आरोपों में मौत की सजा पा चुका एक कुख्यात व्यक्ति अब आजाद घूम रहा है। अजहरुल इस्लाम नामक यह व्यक्ति, जिसे अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल ने फांसी की सजा सुनाई थी, अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद रिहा हो गया। उसकी रिहाई ने उस सरकार के चेहरे से भी नकाब हटा दिया जो शांति और इंसाफ के नाम पर सत्ता में आई थी, लेकिन आज कट्टरपंथियों के सामने झुकती नजर आ रही है।
जिस व्यक्ति की रिहाई को न्याय का मजाक बताया जा रहा है, वह जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठन से जुड़ा रहा है। उसे 1256 लोगों की हत्या, 17 अपहरण और 13 महिलाओं से बलात्कार का दोषी पाया गया था। अब जब वह रिहा हुआ, तो उसके स्वागत में सैकड़ों समर्थक उमड़े। यह घटनाक्रम यह भी दर्शाता है कि कट्टरपंथियों के प्रति मौजूदा सरकार का रवैया कितना नरम हो चुका है और कैसे गंभीर अपराधों को भी नज़रअंदाज़ किया जा रहा है।
कट्टरपंथ के आगे झुकी सरकार
अजहरुल इस्लाम की रिहाई न सिर्फ कानून की गंभीरता पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि सत्ता में बैठे लोग अब उन संगठनों के प्रभाव में हैं, जिनकी विचारधारा इंसानियत के खिलाफ रही है। यह वही व्यक्ति है जिस पर रंगपुर क्षेत्र में नरसंहार और महिलाओं के साथ दुष्कर्म का आरोप साबित हो चुका था। पहले ट्रिब्यूनल ने फांसी की सजा सुनाई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे बरी कर दिया।
दुनिया के सामने खुली असलियत
इस फैसले के बाद सरकार की कथनी और करनी के फर्क की पोल खुल गई है। एक समय जिसे शांति और विकास का प्रतीक बताया जाता था, अब वही चेहरा आलोचना के घेरे में है। अजहरुल की रिहाई ने उस ढोंग को उजागर कर दिया है, जिसमें शांति की बातें तो होती हैं लेकिन आतंकियों पर कार्रवाई नहीं। यह रिहाई न सिर्फ न्याय के खिलाफ है, बल्कि उन हजारों पीड़ित परिवारों के घाव भी हरे कर देती है जिन्हें आज तक न्याय नहीं मिला।