पूर्व पीएम खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान (सोर्स-सोशल मीडिया)
Sharif Osman Hadi Death: पड़ोसी देश बांग्लादेश एक बार फिर भीषण हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता की आग में झुलस रहा है। छात्र नेता शरीफ उस्मान बिन हादी की हत्या के बाद पूरे देश में हिंसक प्रदर्शन और आगजनी का दौर जारी है।
इसी तनावपूर्ण माहौल के बीच पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान ने वतन वापसी का फैसला किया है। लंदन में लंबे समय से निर्वासन झेल रहे रहमान की वापसी आगामी आम चुनावों से पहले देश की सत्ता और राजनीति में बड़ा उलटफेर कर सकती है।
बांग्लादेश में मौजूदा तनाव की मुख्य वजह इंकलाब मंच के छात्र नेता शरीफ उस्मान बिन हादी की मौत है। हादी आगामी 12 फरवरी को होने वाले आम चुनाव में उम्मीदवार थे, लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान नकाबपोश बंदूकधारियों ने उन्हें सिर में गोली मार दी थी।
सिंगापुर के अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मृत्यु की पुष्टि जैसे ही अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने की, देश भर में गुस्सा फूट पड़ा। ढाका समेत कई शहरों में प्रदर्शनकारियों ने तोड़फोड़ और आगजनी शुरू कर दी है, जिससे हालात बेहद संवेदनशील हो गए हैं।
हिंसा के इस दौर के बीच शेख हसीना के सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी तारिक रहमान ने 25 दिसंबर को बांग्लादेश लौटने की योजना बनाई है। वह साल 2008 से ही लंदन में निर्वासन में रह रहे हैं।
खबरों के मुताबिक रहमान ने लंदन स्थित बांग्लादेश उच्चायोग में यात्रा पास (Travel Pass) के लिए आवेदन कर दिया है। उनकी मां बेगम खालिदा जिया इस समय ढाका के अस्पताल में भर्ती हैं। रहमान की वापसी को बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) एक ‘धमाकेदार’ इवेंट बनाने की तैयारी कर रही है, ताकि चुनाव प्रचार को नई गति दी जा सके।
तारिक रहमान की वापसी ऐसे समय में हो रही है जब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार चुनाव की तैयारियों में जुटी है। BNP के कार्यकर्ताओं में रहमान के आने से भारी उत्साह है। पार्टी को उम्मीद है कि रहमान की मौजूदगी से चुनाव अभियान और अधिक मजबूत होगा।
हालांकि विशेषज्ञों का एक वर्ग इसे खतरों भरा भी मान रहा है क्योंकि देश पहले से ही हादी की मौत के बाद दंगों की चपेट में है। सवाल यह उठ रहा है कि क्या रहमान की मौजूदगी देश में शांति बहाली में मदद करेगी या इससे राजनीतिक टकराव और अधिक बढ़ जाएगा।
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बांग्लादेश के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि रहमान की वापसी से सुरक्षा एजेंसियां भी अलर्ट पर हैं। लंदन में रहने के दौरान भी रहमान अपनी पार्टी के मुख्य रणनीतिकार बने रहे। अब जमीन पर उतरकर वह किस तरह से इंकलाब मंच के समर्थकों और अपनी पार्टी के कैडरों को जोड़ते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा।
वर्तमान में ढाका की सड़कों पर जो बर्बरता देखी जा रही है, वह संकेत दे रही है कि आने वाले चुनाव शांतिपूर्ण कराना अंतरिम सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी। फिलहाल पूरी दुनिया की नजर 25 दिसंबर की तारीख पर टिकी है।