अमृत मंडोल की हत्या पर यूनुस सरकार का बयान, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Bangladesh News In Hindi: बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के आरोपों के बीच राजबाड़ी जिले से सामने आए एक मॉब लिंचिंग मामले ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में नई बहस छेड़ दी है। इस घटना में अमृत मंडोल उर्फ सम्राट नामक युवक की मौत हो गई। सोशल मीडिया पर इसे हिंदू समुदाय के खिलाफ सांप्रदायिक हिंसा बताया जा रहा है, हालांकि अंतरिम यूनुस सरकार ने इन दावों को सिरे से खारिज किया है।
बांग्लादेशी समाचार एजेंसी बीएसएस के मुताबिक, अंतरिम सरकार ने राजबाड़ी जिले के पंग्शा पुलिस स्टेशन क्षेत्र में हुई इस हत्या की कड़ी निंदा की है। सरकार का कहना है कि प्रारंभिक जांच और पुलिस रिपोर्ट के आधार पर यह घटना किसी भी तरह से सांप्रदायिक हमला नहीं थी, बल्कि जबरन वसूली और आपराधिक गतिविधियों से उपजी हिंसा का नतीजा थी।
मुख्य सलाहकार (सीए) के प्रेस विंग की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि सोशल मीडिया और कुछ मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इस घटना को लेकर भ्रामक और गुमराह करने वाली जानकारी फैलाई जा रही है। बयान में साफ किया गया कि मृतक अमृत मंडोल इलाके में जबरन वसूली के इरादे से गया था जहां गुस्साए स्थानीय लोगों के साथ उसकी झड़प हो गई और इसी दौरान उसकी मौत हो गई।
सरकारी बयान के अनुसार, अमृत मंडल उर्फ सम्राट का आपराधिक रिकॉर्ड रहा है। उस पर 2023 में दर्ज हत्या, वसूली और अन्य गंभीर अपराधों समेत कई मामले चल रहे थे और उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी थे। पुलिस ने मौके से उसके एक साथी सलीम को गिरफ्तार किया है, जिसके पास से एक विदेशी पिस्टल और एक पाइपगन बरामद की गई है। इस पूरे मामले में अब तक तीन अलग-अलग केस दर्ज किए जा चुके हैं और जांच जारी है।
यूनुस सरकार ने इस हत्या को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिशों पर गंभीर चिंता जताई है। सरकार का कहना है कि एक विशेष समूह मृतक की धार्मिक पहचान को उभारकर इस घटना को सांप्रदायिक हिंसा के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहा है जो तथ्यात्मक रूप से गलत और दुर्भावनापूर्ण है।
सरकार ने दो टूक कहा है कि वह किसी भी तरह की गैर-कानूनी गतिविधि, भीड़ द्वारा हिंसा या मॉब लिंचिंग का समर्थन नहीं करती। इस मामले में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल सभी लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, सभी नागरिकों और मीडिया से जिम्मेदारीपूर्ण व्यवहार करने और भड़काऊ या सांप्रदायिक बयानबाजी से बचने की अपील की गई है।
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गौरतलब है कि इससे पहले हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की हत्या का मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आया था, जिसके बाद यूनुस सरकार के कार्यकाल में कानून-व्यवस्था को लेकर सवाल उठे थे। अभी वह मामला शांत भी नहीं हुआ था कि राजबाड़ी की यह घटना सामने आ गई, जिससे बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर चिंताएं और गहरी हो गई हैं।