
मुहम्मद यूनुस, फोटो, (सो. सोशल मीडिया)
Bangladesh Violence: ढाका में सत्ता परिवर्तन के बाद से बांग्लादेश की राजनीति अस्थिरता के दौर से गुजर रही है। अंतरिम सरकार के नेतृत्व में अगले साल आम चुनाव होने हैं लेकिन क्या ये चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष होंगे इस पर अब गहरे सवाल उठने लगे हैं। दरअसल, जिन समूहों ने मुहम्मद यूनुस की मदद से शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट कराया था, वही अब यूनुस के खिलाफ खड़े दिखाई दे रहे हैं।
सबसे अहम टकराव जमात-ए-इस्लामी और यूनुस समर्थित अंतरिम सरकार के बीच देखा जा रहा है। दोनों पक्ष सरकारी और शैक्षणिक संस्थानों में अपने-अपने लोगों की नियुक्तियों को लेकर खुलकर आमने-सामने हैं। जमात-ए-इस्लामी ने हाल ही में ढाका यूनिवर्सिटी छात्र चुनावों में भारी जीत हासिल की है। इस जीत के बाद संगठन देशभर के विश्वविद्यालयों में अपने समर्थकों को प्रमुख पदों पर बैठा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी राजनीतिक दल के लिए छात्र राजनीति को नजरअंदाज करना खतरे से खाली नहीं होगा, क्योंकि युवाओं के आंदोलन ने अतीत में बांग्लादेश और नेपाल जैसे देशों में सत्ता परिवर्तन करवाए हैं।
इधर, जमात ने यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पर सरकारी संस्थानों में अपने वफादारों को नियुक्त करने का आरोप लगाया है। लोक प्रशासन मंत्रालय में एक विवादित सचिव की नियुक्ति को लेकर जमात ने नाराजगी जताई है यह कहते हुए कि सरकार के सलाहकार जानबूझकर प्रशासन को पक्षपातपूर्ण बना रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह सारा विवाद चुनाव परिणामों को प्रभावित करने की कोशिश का हिस्सा है।
बीएनपी (बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी) और जमात का पुराना गठबंधन अब टूट चुका है और मौजूदा सर्वेक्षणों के अनुसार बीएनपी को स्पष्ट बढ़त मिल रही है। अवामी लीग के प्रतिबंधित होने के कारण बीएनपी मुख्य दावेदार है जबकि जमात दूसरे और यूनुस समर्थित नई नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) तीसरे स्थान पर दिखाई दे रही है। यह समीकरण यूनुस और जमात दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण है इसलिए वे प्रशासनिक पदों पर अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश में हैं।
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बीएनपी का आरोप है कि यूनुस और जमात मिलकर चुनावों में धांधली की योजना बना रहे हैं ताकि वे सत्ता से बाहर होने पर भी नियंत्रण बनाए रख सकें। वहीं, जमात का दावा है कि बीएनपी साजिश कर चुनाव प्रक्रिया को बाधित करना चाहती है। नई दिल्ली के अधिकारियों ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि भारत हमेशा बांग्लादेश में स्थिरता और निष्पक्ष चुनावों का समर्थन करता है। हालांकि जमीनी स्तर पर स्थिति चिंताजनक है राजनीतिक टकराव, प्रशासनिक पक्षपात और छात्र संगठनों की बढ़ती सक्रियता के कारण देश एक बार फिर हिंसा के कगार पर दिखाई दे रहा है।






