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नई दिल्ली: जहां एक तरफ बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार का अब तख्तापलट हो चुका है। वहीं शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने अपनी मां को सत्ता से हटाए जाने के पीछे बाहरी शक्तियों का हाथ होने की बात कहते दिख रहे है। इतना ही नही सजीब का मानना है कि बांग्लादेश में जो स्थिति बनी है, उसके पीछे अमेरिका का भी हाथ हो सकता है। हालांकि वे पाकिस्तान का हाथ होने की भी बात कर रहे हैं।
इस बाबत सजीब वाजेद ने निजी मिडिया से बात करते हुए कहा कि, ” मैं यह तो बता तो नहीं सकता कि ये किसने किया है। लेकिन हमारा यह संदेह है कि इसके पीछे पाकिस्तान या अमेरिका हो सकते हैं। कौन जानें शायद पाकिस्तान तो ऐसा करेगा ही क्योंकि वो कभी नहीं चाहता कि बांग्लादेश में मजबूत सरकार बने। वो ऐसे ही भारत को परेशान करना चाहता है।”
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अमेरिका पर बात करते हुए सजीब बोले कि, “पाकिस्तान की ही तरह अमेरिका भी बांग्लादेश में मजबूत सरकार नहीं चाहता, वो बांग्लादेश में कमजोर सरकार की इच्छा रखता है। वो एक ऐसी सरकार चाहता है जिसे वह कंट्रोल कर सके और वो शायद शेख हसीना को नियंत्रित नहीं कर पाए।”
— Sajeeb Wazed (@sajeebwazed) August 5, 2024
गौरतलब है कि, अमेरिका पहले ही कह चुका है कि बांग्लादेश में लोकतांत्रिक मूल्यों, कानून के शासन और बांग्लादेशी लोगों की इच्छा का सम्मान करते हुए अंतरिम सरकार का गठन किया जाना चाहिए। अमेरिका ने यह भी कहा कि वह बांग्लादेश के हालात पर करीबी नजर रख रहा है और वह इस देश में हिंसा समाप्त करने तथा पिछले कुछ हफ्तों में हुई मौतों के लिए जवाबदेही तय करने का आह्वान करता है।
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जानकारी दें कि बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी हिंसक प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना के अचानक इस्तीफा देने और देश छोड़कर जाने से अराजकता की स्थिति पैदा हो गई है। इस पर ढाका में बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमां ने कहा कि एक अंतरिम सरकार कार्यभार संभालने जा रही है और सेना देश में कानून-व्यवस्था बनाए रखने का जिम्मा उठाएगी। हसीना के देश छोड़ने की खबर आते ही हजारों प्रदर्शनकारी उनके आवास में घुस गए और तोड़फोड़ व लूटपाट की। बाद में हसीना लंदन जाने की अपनी योजना के तहत भारत में गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर उतरीं।
बता दें कि बीते दो दिनों में, हसीना सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शनों में 100 से अधिक लोग मारे गए हैं। बांग्लादेश में छात्रों का विरोध-प्रदर्शन पिछले महीने विवादास्पद नौकरी आरक्षण योजना के खिलाफ शुरू हुआ था। यह प्रदर्शन बाद में सरकार विरोधी आंदोलन में बदल गया। साल 1971 के मुक्ति संग्राम में हिस्सा लेने वाले लोगों के परिवारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30% आरक्षण का प्रावधान इस विवादास्पद आरक्षण व्यवस्था के तहत ही किया गया था।
(एजेंसी इनपुट के साथ)