तस्वीर में मोहम्मद यूनुस और पीएम मोदी
ढाका: बांग्लादेश में हुए विद्रोह और वर्तमान परिस्थितियों को भारतीय मीडिया लगातार प्रमुखता के कवर कर रही है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को अब ये बात खटक रही है। बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों पर अत्याचारों के खिलाफ दुनिया भर में हो रहे आंदोलनों को भारतीय मीडिया ने कायदे से कवर किया। इसके अलावा भारतीय मीडिया ने शेख हसीना के बयान को भी दुनिया भर के सामने लाकर रखा। ये बात अब सैन्य-चयनित अंतरिम सरकार को हजम नहीं हो रहा है।
नव नियुक्त अंतरिम सरकार ने भारत सरकार से भारतीय मीडिया को कंट्राेल करने की मांग की है। साथ ही बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को चुप कराने की नसीहत दी।
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द्विपक्षीय संबंधों ताक पर
विदेश विभाग मामलों के जानकार ब्रह्म चेलानी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट में लिखा, कल हसीना के कानून मंत्री और सलाहकार सहित कई लोगों की गिरफ्तारी और सफ़ाई अभियान के बीच, सैन्य-चयनित अंतरिम सरकार ने मांग की है कि भारत बांग्लादेश के घटनाक्रमों पर भारतीय मीडिया कवरेज को नियंत्रित करे और हसीना को चुप करा दे। सरकार का कहना है कि उनके बयान द्विपक्षीय संबंधों के लिए अनुकूल नहीं हैं।
शेख हसीना के बयान से बौखलाहट
11 अगस्त यानी बीते रविवार को शेख हसीना में बांग्लादेश में हुए तख्तापलट और देश वापसी के बारे में पहली बार बात की थी। शेख ने अपने बयान में बांग्लादेश में हुए तख्तापलट का सीधे तौर अमेरिका का हाथ बताया। वहीं उन्होंने देश वापसी पर कहा था कि वह स्थितियां सामान्य हो जाने पर देश वापस करेंगी और एक बार फिर से बांग्लादेश को कट्टरपंथियों से सुरक्षित करेंगी।
कब हालात बिगड़ी थी
बांग्लादेश में राजनीतिक हालात तब काफी ज्यादा खराब हो गई थी जब पांच अगस्त को छात्रों का विरोध प्रदर्शन तेज हुआ था। यह लोग सरकारी नौकरी में विवादास्पद कोटा सिस्टम खत्म करने की मांग कर रहे थे। इसके बाद बढ़ती हिंसा से डरकर शेख हसीना मिलिट्री एयरक्राफ्ट में सवार होकर भारत पहुंच गईं। फिलहाल वह भारत में ही मौजूद हैं। बांग्लादेश में नोबल विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार चुनी गई है।
बांग्लादेश विद्रोह में 300 से ज्यादा की मौत
शेख ने कहा बांग्लादेशवासियों से कहा कि मैं आपकी लीडर बनी, क्योंकि आपने मुझे चुना था। शेख हसीना के इस्तीफे के बाद बांग्लादेश में 300 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। इसके चलते अभी तक वहां पर मरने वालों की संख्या बढ़कर 560 हो चुकी है। हसीना ने कहा कि उनके शब्दों का गलत इस्तेमाल करके छात्रों को भड़काया गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि मैंने कभी भी प्रदर्शनकारी छात्रों को रजाकर कहकर नहीं बुलाया।
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