
बलूच नेता तारा चंद की बॉलीवुड से बलूचिस्तान पर फिल्म बनाने की अपील (सोर्स- सोशल मीडिया)
Pakistan Human Rights Violations: बलूच अमेरिकन कांग्रेस के अध्यक्ष तारा चंद ने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री से एक भावुक अपील की है। उन्होंने बॉलीवुड से आग्रह किया है कि वह बलूचिस्तान में पाकिस्तान के कथित अत्याचारों और मानवाधिकार उल्लंघनों को उजागर करे। उनका मानना है कि एक प्रभावशाली फिल्म के जरिए दुनिया के सामने इस क्षेत्र की सच्चाई लाई जा सकती है। यह अपील बलूच लोगों के दशकों पुराने संघर्ष को वैश्विक मंच पर लाने का एक प्रयास है।
तारा चंद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर पोस्ट करते हुए स्पष्ट किया कि बलूचिस्तान स्वतंत्र था और मार्च 1948 में उसे जबरन और अलोकतांत्रिक तरीके से पाकिस्तान में मिला लिया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि इस कब्जे के बाद से ही पाकिस्तानी सेना ने बलूचिस्तान और उसके विभिन्न क्षेत्रों पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया है।
बलूच नेता ने बॉलीवुड से मांग की है कि वह इस ऐतिहासिक सच्चाई को फिल्म के माध्यम से उजागर करे। उनका दावा है कि यह फिल्म बलूच लोगों के साथ हुए अन्याय को दुनिया के सामने लाएगी।
बलूच नेता ने पाकिस्तान पर दशकों से बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों की भारी लूट का आरोप लगाया। उनके अनुसार, प्राकृतिक गैस, खनिज, सोना, चांदी, कोयला और तटीय क्षेत्रों से अरबों डॉलर कमाए गए हैं, लेकिन बलूच जनता आज भी वंचित और उत्पीड़ित है।
उन्होंने कहा कि संसाधनों के इस दोहन का लाभ स्थानीय लोगों तक नहीं पहुंचता, जिससे क्षेत्र में गरीबी और असंतोष बढ़ता जा रहा है। तारा चंद ने बताया कि बलूच लोगों ने इस अन्याय के खिलाफ शुरू से ही विरोध किया है।
तारा चंद ने पाकिस्तानी सेना पर बलूचिस्तान में बड़े पैमाने पर जबरन गायब किए जाने की घटनाओं में शामिल होने का गंभीर आरोप लगाया। उनके अनुसार, राजनीतिक कार्यकर्ता, वकील, शिक्षक, डॉक्टर, छात्र, शिक्षित युवा और महिलाएं तक इसका शिकार हो रहे हैं।
बलूच नेता ने दावा किया कि हजारों बलूच पुरुष और महिलाओं को बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के सैन्य जेलों में बंद रखा गया है, जो कि मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि बलूच यकजहती कमेटी की नेता महरंग बलूच और कई अन्य नेताओं को भी बिना किसी आरोप के महीनों से जेल में रखा गया है।
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दमन और अत्याचारों के बावजूद, तारा चंद ने जोर देकर कहा कि बलूचिस्तान के लोग आज भी अपनी आजादी और मातृभूमि के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 2000 के आसपास शुरू हुआ सबसे बड़ा आंदोलन आज भी जारी है।
बलूच नेता ने कहा कि निर्दोष नागरिकों का अपहरण और उन्हें आत्मसमर्पण के लिए मजबूर करने के बावजूद, स्वतंत्रता की लड़ाई नहीं रुकी है। उन्होंने उम्मीद जताई कि भारतीय फिल्म इंडस्ट्री इस संघर्ष को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।






