प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान
अबू धाबी: पहलगाम आतंकी हमले पर चौतरफा आलोचना झेल रहे पाकिस्तान को एक और बड़ा झटका लगा है। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने पहलगाम हमले की आलोचना करते हुए आतंकवाद के खिलाफ भारत का साथ देने की बात कही है। यूएई को पाकिस्तान का सबसे अच्छे दोस्त माना जाता है।
यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की है। उन्होंने प्रधानमंत्री से बात करते हुए पहलगाम हमले की कड़ी आलोचना की। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति नाहयान के बीच हुई बातचीत की जानकारी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके दी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि बातचीत के दौरान दोनों नेता इस बात एकमत थे कि आतंकवाद को उसके सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में पूरी तरह से खारिज किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद की ओर से व्यक्त की गई संवेदनाओं के लिए उनका आभार व्यक्त किया।
President HH @MohamedBinZayed of UAE called PM @narendramodi and conveyed condolences on the loss of lives in the barbaric terror attack on the Indian soil of Jammu & Kashmir. He strongly condemned the attack and expressed full solidarity and support with India. PM appreciated…
— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) April 26, 2025
राष्ट्रपति नाहयान से बात करते हुए पीएम मोदी ने यह भी कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में पूरी तरह से दृढ़ संकल्पित है और हमले के अपराधियों और उनके समर्थकों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए हर संभव कदम उठाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति नाहयान की इस बातचीत से पाकिस्तान को एक बड़ा झटका लगा है। यूएई का नाम दुनिया के बड़े मुस्लिम देशों में आता है और पाकिस्तान अक्सर दुनिया के सामने उसे अपना सबसे अच्छा दोस्त बताता रहा है। ऐसे में यूएई का भारत का पक्ष लेना पाकिस्तान के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है। क्योंकि दुनियाभर के नेता पहले पहलगाम हमले के लिए पाकिस्तान की निंदा कर चुके हैं।
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बता दें कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम ने कुछ आतंकवादियों ने वहां घूमने के लिए गए पर्यटकों पर हमला कर दिया था। हमले में 27 पर्यटकों सहित एक स्थानीय कश्मीरी नागरिक की मौत हो गई थी वहीं कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे। यह हमला पुलवामा हमले के बाद घाटी में सबसे घातक हमला था। जिसकी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के एक प्रतिनिधि संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली थी।