सांकेतिक तस्वीर
Operation Hawkeye on ISIS: सीरिया में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ अमेरिका ने एक बार फिर बड़ा सैन्य अभियान शुरू किया है। पल्मायरा क्षेत्र में हुए जानलेवा हमले में अमेरिकी सैनिकों की मौत के बाद पेंटागन ने कड़ा जवाब देने का निर्णय लिया। इस घटना के बाद अमेरिकी सेना ने ‘ऑपरेशन हॉकआई स्ट्राइक’ लॉन्च किया है, जिसका उद्देश्य ISIS के नेटवर्क को पूरी तरह नष्ट करना बताया जा रहा है।
पेंटागन प्रमुख पीट हेगसेथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी साझा करते हुए कहा कि 13 दिसंबर को सीरिया में अमेरिकी सैन्य अड्डे पर हुए हमले में दो अमेरिकी सैनिकों और एक नागरिक की जान गई थी, जबकि तीन सैनिक गंभीर रूप से घायल हुए थे। इसी हमले के प्रतिशोध में यह सैन्य कार्रवाई शुरू की गई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अमेरिका अपने नागरिकों और सैनिकों पर हमलों को सहन नहीं करेगा और जो भी दुनिया में कहीं भी अमेरिकियों को निशाना बनाएगा, उसे ढूंढकर खत्म किया जाएगा।
अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक, इस अभियान के तहत मध्य सीरिया में ISIS से जुड़े लगभग 70 ठिकानों पर हमले किए गए हैं। इनमें आतंकियों के छिपने के अड्डे, हथियार भंडारण केंद्र और प्रशिक्षण शिविर शामिल थे। पेंटागन ने संकेत दिया है कि हालात को देखते हुए आने वाले दिनों में और भी सैन्य कार्रवाई की जा सकती है।
इस ऑपरेशन में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने अपनी सैन्य क्षमता का प्रदर्शन किया। हमलों में एफ-15 ईगल फाइटर जेट, ए-10 थंडरबोल्ट अटैक एयरक्राफ्ट, AH-64 अपाचे हेलीकॉप्टर और HIMARS रॉकेट सिस्टम का इस्तेमाल किया गया। इसके साथ ही जॉर्डन के एफ-16 लड़ाकू विमानों ने भी अभियान में भाग लिया।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस सैन्य कार्रवाई पर प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया पर लिखा कि ये हमले ISIS के मजबूत ठिकानों को निशाना बना रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि कोई भी आतंकी संगठन अगर अमेरिका पर हमला करने या धमकी देने की कोशिश करेगा, तो उसे पहले से भी ज्यादा सख्त जवाब दिया जाएगा। ट्रंप ने सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शारा के प्रति अपना समर्थन भी दोहराया।
यह भी पढ़ें- बड़े युद्ध की आशंका! TTP विवाद पर आमने-सामने इस्लामाबाद-काबुल, PAK ने कहा- देंगे मुंहतोड़ जवाब
बशर अल-असद के सत्ता से हटने के बाद अमेरिका और सीरिया के संबंधों में नया बदलाव देखने को मिला है। हाल ही में अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शारा ने वॉशिंगटन का दौरा किया और अमेरिकी नेतृत्व से मुलाकात की। यह 1946 के बाद पहली बार हुआ है जब किसी सीरियाई राष्ट्रपति ने व्हाइट हाउस की यात्रा की।