सांकेतिक तस्वीर, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Taliban Women Education Ban: अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने को अब चार साल पूरे हो चुके हैं। इस दौरान महिलाओं और लड़कियों के कई मूलभूत अधिकारों पर पाबंदी लगाई गई है। 2021 में सत्ता संभालने के तुरंत बाद ही लड़कियों के लिए मिडिल स्कूल, हाई स्कूल और विश्वविद्यालय बंद कर दिए गए थे। अब एक नया आदेश आया है, जिसके तहत धार्मिक शिक्षा यानी मदरसों में भी लड़कियों और महिलाओं को पढ़ाई की अनुमति नहीं होगी।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया के अनुसार, तालिबान के सर्वोच्च नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा ने यह निर्देश जारी किया है। खबरों में बताया गया है कि हाल ही में कंधार में हुई एक कैबिनेट बैठक में अखुंदजादा ने शिक्षा और उच्च शिक्षा मंत्रालयों को महिलाओं का धार्मिक स्कूलों (मदरसों) में दाखिला रोकने और इसे धीरे-धीरे पूरी तरह बंद करने का आदेश दिया। इस नीति के पहले चरण के तहत, महिला छात्राओं को अब मदरसों से स्नातक की डिग्री या प्रमाणपत्र भी नहीं दिए जाएंगे।
रिपोर्ट के अनुसार, अखुंदजादा को खबर मिली थी कि कुछ धार्मिक मदरसों में सिर्फ इस्लामी शिक्षा ही नहीं, बल्कि गणित, विज्ञान और भाषाओं की भी पढ़ाई हो रही है। इसी वजह से उन्होंने कड़ा आदेश जारी किया। इस फैसले के बाद तालिबानी कैबिनेट में तीखी बहस छिड़ गई। कुछ मंत्री नाराज हुए और उन्होंने कहा कि वे इस साल लड़कियों के स्कूल फिर से खुलने की उम्मीद कर रहे थे।
कुरान और हदीस का हवाला देते हुए कुछ मंत्रियों ने बताया कि शिक्षा लड़कों और लड़कियों दोनों के लिए जरूरी है। लेकिन हिबतुल्लाह ने फिर वही सवाल उठाया कि कोई स्पष्ट इस्लामी प्रमाण बताओ कि क्यों एक युवा लड़की को घर से बाहर पढ़ाई करनी चाहिए। इससे पहले भी जब विश्वविद्यालयों में लड़कियों के दाखिले पर रोक लगाने की बात हुई थी, उन्होंने यही तर्क पेश किया था।
हाल ही में तालिबानी नेताओं की एक बैठक में विवाद इतना बढ़ गया कि कई सदस्य खुलेआम अपने नेता की आलोचना करने लगे। उन्होंने बताया कि इस तरह का व्यवहार संगठन में अंदरूनी तनाव और असंतोष को बढ़ावा देगा और अफगानिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अधिक आलोचना का सामना करना पड़ेगा। कुछ लोगों का यह भी अनुमान है कि अखुंदजादा जानबूझकर किसी विदेशी एजेंडे के तहत सरकार की कमजोर स्थिति पैदा कर रहे हैं।
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अगस्त 2021 को अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान से निकलने के बाद तालिबान ने देश पर कब्जा कर लिया और 20 साल के युद्ध का अंत हुआ। सत्ता में आने के बाद उन्होंने सख्त शरिया कानून लागू किए, जिससे महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों पर गंभीर पाबंदियां लग गईं। लड़कियों की पढ़ाई छठी कक्षा के बाद बंद कर दी गई, रोजगार के अवसर सीमित कर दिए गए और घर से बाहर निकलने पर भी रोक लगा दी गई। संयुक्त राष्ट्र, मानवाधिकार संगठन और कई देशों ने लगातार इस रवैये की आलोचना की, लेकिन स्थिति में अब तक कोई सुधार नहीं हुआ।