पॉल बिया (फोटो- सोशल मीडिया)
Paul Biya: कैमरून के 92 वर्षीय राष्ट्रपति ने फिर से चुनाव लड़ने की घोषणा की मध्य अफ्रीका के देश कैमरून के राष्ट्रपति पॉल बिया ने अक्टूबर 2025 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में अपनी दावेदारी पेश की है। पॉल बिया दुनिया के सबसे उम्रदराज और सबसे लंबे समय तक सत्ता में रहने वाले राष्ट्राध्यक्षों में से एक हैं। वह पिछले 43 वर्षों से कैमरून के राष्ट्रपति हैं और वर्तमान में उनकी उम्र 92 साल है। अब वे 100 वर्ष की उम्र तक सत्ता में बने रहना चाहते हैं।
पॉल बिया ने रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट कर अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की। उन्होंने लिखा, “मैं 12 अक्टूबर 2025 को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपनी उम्मीदवारी का ऐलान कर रहा हूं।” बिया ने 1982 में राष्ट्रपति पद संभाला था और तब से लगातार इस पद पर बने हुए हैं।
पॉल बिया ने अपनी पोस्ट में दावा किया कि उन्होंने यह निर्णय जनता की मांग पर लिया है। उन्होंने लोगों को भरोसा दिलाया कि वे भविष्य में भी उनकी सेवा करते रहेंगे। हालांकि, 43 वर्षों के लंबे शासन के बाद देश में उनके खिलाफ विरोध के स्वर भी तेज़ होने लगे हैं। कई विपक्षी नेता और सामाजिक कार्यकर्ता बिया को कैमरून के विकास और लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ी बाधा मानते हैं।
बिया की उम्मीदवारी की घोषणा के बाद विभिन्न विपक्षी दलों ने भी अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। इनमें सबसे प्रमुख नाम मौरिस काम्टो (कैमरून रेनसां मूवमेंट) का है, जो 2018 में उपविजेता रहे थे। उनके अलावा जोशुआ ओसिह, अकेरे मुना और कैब्रल लिबी जैसे नेताओं ने भी अपनी दावेदारी पेश की है।
विपक्षी नेताओं ने पॉल बिया पर भ्रष्टाचार, कुशासन और देश को आर्थिक तथा राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियों से निपटने में विफल रहने के आरोप लगाए हैं। कैमरून रेनसां मूवमेंट के महासचिव क्रिस्टोफर एनकॉन्ग ने बिया पर तंज कसते हुए कहा, “पापा, आपने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया है। क्या अब आप किसी और कैमरूनी को सत्ता सौंपने के लिए तैयार नहीं हैं?”
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1982 में अहमदौ अहिजो के इस्तीफे के बाद पॉल बिया ने देश की सत्ता संभाली थी। उनके शासनकाल के दौरान कैमरून ने कई गंभीर आर्थिक संकटों का सामना किया और एकदलीय शासन प्रणाली से बहुदलीय लोकतंत्र की ओर कदम बढ़ाया। हालांकि, बिया की सरकार पर लगातार भ्रष्टाचार, धन के दुरुपयोग और प्रशासनिक कुप्रबंधन के आरोप लगते रहे हैं। 2008 में उन्होंने संविधान में संशोधन कर राष्ट्रपति पद की अवधि की सीमा को समाप्त कर दिया, जिससे उन्हें अनिश्चितकाल तक चुनाव लड़ने का अधिकार मिल गया।