प्रतीकात्मक तस्वीर- बांग्लादेश में हिंसा
ढाकाः बांग्लादेश में पिछले साल चार अगस्त 2024 को राजनीतिक अशांति के चरम पर पहुंचने और फलस्वरूप प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग सरकार के सत्ता से बेदखल होने के बाद से 330 दिनों में सांप्रदायिक हिंसा की 2,442 घटनाएं हुईं। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार अल्पसंख्यकों पर हमले रोकने में नाकाम रही है। देश में अल्पसंख्यकों के हितों के लिए काम करने वाले एक संगठन ने बृहस्पतिवार को यह दावा किया।
बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद ने यहां ‘नेशनल प्रेस क्लब’ में प्रेसवार्ता जारी एक बयान में कहा कि इनमें से अधिकतर हिंसक घटनाएं पिछले साल चार अगस्त एवं 20 अगस्त के बीच हुईं। परिषद ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदायों को चार अगस्त, 2024 से 330 दिनों की अवधि में सांप्रदायिक हिंसा की 2,442 घटनाओं का सामना करना पड़ा।
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बयान में कहा गया है कि हिंसा की प्रकृति हत्याओं और सामूहिक बलात्कार समेत यौन हमलों से लेकर उपासना स्थलों पर हमले, घरों और व्यवसायों पर कब्ज़ा, धर्म की कथित मानहानि के आरोप में गिरफ्तारियां और विभिन्न संगठनों से अल्पसंख्यकों को जबरन हटाने तक थी। पीड़ितों में अल्पसंख्यक समूहों से संबंधित पुरुष, महिलाएं और किशोर शामिल थे। बयान में कहा गया है कि बड़े पैमाने पर अपराधी मुकदमे या अभियोजन से बच निकले। अंतरिम सरकार ने ऐसी घटनाओं को ‘स्वीकार करने से इनकार’ कर दिया और ‘उन्हें राजनीति से प्रेरित बताकर खारिज कर दिया है।
अल्पसंख्यक समुदाय को बार-बर किया गया दरकिनार
परिषद के एक वरिष्ठ नेता नर्मल रोसारियो ने कहा कि अंतरिम सरकार की सुधार पहलों में अल्पसंख्यक समुदायों को बार-बार दरकिनार किया गया है,‘जो हमारे लिए सबसे निराशाजनक कारक है। उन्होंने कहा कि हम सभी के साथ मिलकर चलना चाहते हैं। एक अन्य नेता, निमचंद्र भौमिक ने कहा, ‘‘(समाज में) विभाजन किसी के लिए भी सुखद बात नहीं है।
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परिषद के कार्यवाहक महासचिव मनिंद्र कुमार नाथ ने कहा कि दरअसल, सरकार अल्पसंख्यकों पर दमन की घटनाओं को नजरअंदाज करती है। हम उचित न्याय की मांग करते हैं। वर्ष 2022 की जनगणना के अनुसार, बांग्लादेश में हिंदू सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है, जिनकी कुल जनसंख्या 7.95 प्रतिशत है। उसके बाद बौद्ध (0.61प्रतिशत), ईसाई (0.30प्रतिशत) और अन्य (0.12प्रतिशत) हैं।
-एजेंसी इनपुट के साथ