कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष (चश्मे में)
नई दिल्ली: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को किसी भी ओर से राहत की सांस नहीं मिल रही है। अब उनके याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने भी सुनवाई से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा किजनहित याचिका में हस्तक्षेप करने का घोष को अधिकार नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका में हस्तक्षेप करने का घोष को अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है।
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कलकत्ता हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई जांच का आदेश दिया था। घोष ने कहा कि वह जांच के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा उनके खिलाफ की गई टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए उन्होंने कहा कि आरजी कर बलात्कार की घटना से उन्हें जोड़ना अन्याय है।
ED ने 6 ठिकानों मारी रेड
यही नहीं पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष पर वित्तीय गड़बड़ियों का आरोप भी है। एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने बी इस बाबत PMLA के तहत केस दर्ज कर लिया है। शुक्रवार को यानी आज सुबह- सुबह ED ने संदीप के घर सहित 6 ठिकानों पर छापा मारा है।
घोष पर ये भी आरोप
बता दें कि इस मामले की CBI भी जांच कर रही है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने बीते 13 अगस्त को CBI को आरजी कर रेप-हत्या केस और अस्पताल में वित्तीय गड़बड़ी की जांच सौंपी थी। CBI जांच के खिलाफ घोष की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया। CBI ने घोष को 2 सितंबर को गिरफ्तार किया था। वे 8 दिन की CBI कस्टडी में हैं। पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विभाग घोष को सस्पेंड कर चुका है। इससे पहले 28 अगस्त को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने संदीप घोष की सदस्यता रद्द कर दी थी।
क्या है मामला
आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में प्रदर्शन में शामिल हुए पीड़िता प्रशिक्षु चिकित्सक के माता-पिता ने यह गंभीर आरोप लगाया कि घटना सामने आने के बाद एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने उन्हें पैसे देने की कोशिश की थी। अस्पताल में बीते नौ अगस्त को उनकी बेटी का शव मिला था।
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पीड़िता चिकित्सक के पिता ने आरोप लगाया था कि पुलिस शुरू से ही मामले को दबाने की कोशिश कर रही है। हमें शव को देखने की इजाजत नहीं दी गई और जब शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया तब तक हमें थाने में इंतजार करना पड़ा। बाद में जब शव को हमें सौंपा गया, तब एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने हमें धन की पेशकश की लेकिन हमने इसे लेने से तुरंत इनकार कर दिया।