प्रतीकात्मक तस्वीर( मासूम से दुष्कर्म)
Kolkata Rape Case: कोलकाता की पोक्सो कोर्ट ने मंगलवार को एक हैवान को फांसी को सजा सुनाई है। पश्चिम बंगाल में पिछले साल एक 34 वर्षीय युवक ने एक 7 महीने की बच्ची के साथ रेप किया था। नवंबर 2024 में हुई शर्मसार कर देने वाली घटना पर कोर्ट ने करीब 4 महीने बाद अपना फैसला सुनाया है। वहीं बचाव पक्ष व सरकारी वकील ने कोर्ट में दी गई अपनी दलील में इसे अति दुर्लभ श्रीणी का अपराध बताया।
दोनों पक्षों की अंतिम दलीलें सुनने के बाद बैंकशाल कोर्ट ने सोमवार को राजीव घोष नामक व्यक्ति को मासूम बच्ची के अपहरण, रेप, और हत्या के प्रयास लिए दोषी ठहराया। विशेष सरकारी वकील बिवास चटर्जी ने कहा, “अदालत ने सोमवार को राजीव घोष नामक व्यक्ति को बलात्कार का दोषी ठहराया था। मंगलवार को अदालत ने मामले को दुर्लभतम अपराध की श्रेणी में रखते हुए उसे मौत की सजा सुनाई है।”
मासूम ICU में लड़ रही जिंदगी की जंग
कोर्ट को सुनवाई के दौरान बताया गया कि बच्ची अभी भी सरकारी अस्पताल के आईसीयू में जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है। उसकी चार सर्जरी हो चुकी हैं। अस्पताल के एक अधिकारी ने बातया कि उसके शरीर पर गंभीर चोटें आईं हैं, जिसके कारण उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। उन्होंने कहा कि जिंदगी के लिए वह संघर्ष कर रही है। अगर वह बच भी जाती है तो ऐसी उम्मीद नहीं है कि वह सामान्य जीवन जी पाएगी।
हैवानियत के बाद मंदिर के पास बच्ची को फेंका
घटना 1 दिसंबर 2024 की है, बच्ची को खून से लथपथ रोते हुए पाया गया था। पुलिस को सूचना दी गई और मेडिकल जांच में पता चला की 7 माह की मासूम के साथ बलात्कार किया गया है। एक अधिकारी ने बताया, “आरोपी ने 30 नवंबर और 1 दिसंबर की रात को उसे फुटपाथ से उठाकर 30 मिनट तक बलात्कार किया और प्रताड़ित किया। वह अपने माता-पिता के साथ सो रही थी। बाद में उसने उसे नग्न अवस्था में एक मंदिर के पास फेंक दिया।”
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‘ऐसा जघन्य अपराध कभी नहीं देखा‘
अपराधी घोष को कोलकाता पुलिस ने 5 दिसंबर को झारग्राम जिले के गोपीबल्लवपुर इलाके में उसके घर से गिरफ्तार किया था। पुलिस ने कहा कि तकनीक और उस व्यक्ति की अजीबोगरीब लंगड़ाती चाल ने जासूसों को उसकी पहचान करने में मदद की। चटर्जी ने सुनवाई के दौरान अदालत को बताया, “कम से कम 24 गवाहों से पूछताछ की गई। आरजी कर अस्पताल के एक डॉक्टर ने अदालत को बताया कि उसने ऐसा जघन्य अपराध कभी नहीं देखा। पेरिनियल क्षेत्र पूरी तरह से फट गया था।
केस की सुनवाई कर रहीं न्यायाधीश इंद्रिला मुखर्जी ने घोष को भारतीय न्याय संहिता की धारा 65 (2), 140 (4), 137 (2) और 118 तथा पोक्सो अधिनियम की धारा 6 के तहत दोषी पाया। चटर्जी ने कहा, “अपराध इतना गंभीर था कि अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि उसे जीने का कोई अधिकार नहीं है।”