जानिए कैसे हुई महाज्ञानी रावण की मृत्यु (सौ.सोशल मीडिया)
Ravan ka antim sanskar kisne kiya: शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों के समापन के बाद दशहरा का त्योहार हर साल मनाया जाता है। इस साल दशहरा 2 अक्तूबर 2025 को मनाया जा रहा है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, रावण पर विजय पाने के लिए भगवान राम ने नौ दिनों तक मां दुर्गा की उपासना की और 10वें दिन रावण का वध किया था।
उसके बाद ही नवरात्रि की दशमी तिथि को दशहरा का पर्व मनाया जाने लगा। धर्म ग्रंथों के अनुसार, दशानन यानी रावण की गिनती इतिहास के शक्तिशाली योद्धाओं और प्रकांड विद्वान में होती है। लेकिन इसके बाद भी उसे एक बुरे अंत का सामना करना पड़ा था, जिसका कारण रावण के बुरे कर्म थे। ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिरी किसने रावण का अंतिम संस्कार किया था।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, युद्ध में रावण को पराजित करना एक कठिन लक्ष्य था, क्योंकि रावण के पास दिव्य शक्तियां और अस्त्र-शस्त्र थे। युद्ध के आखिरी दिन यानी दसवें दिन भगवान राम ने ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल किया और रावण की नाभि पर निशाना साधा।
इस प्रहार से राणव जमीन पर गिरा पड़ा और समझ गया कि उसकी युद्ध में पराजय हुई है और यह उसका आखिरी समय है। अंत में रावण के मुंह से भगवान राम का ही नाम निकला, जिन्हें वह अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता था।
कहा जाता है कि रावण का दाह संस्कार पहले विभीषण ने अपने बड़े भाई रावण का दाह संस्कार करने से मना कर दिया था। क्योंकि, विभीषण का कहना था कि रावण एक पापी और दुराचारी था। ऐसे में वह अपने हाथ से रावण का अंतिम संस्कार करने के लिए राजी नहीं था। लेकिन, बाद में रावण का दाह संस्कार उसके छोटे भाई विभीषण ने ही किया था, क्योंकि वही सभी भाईयों में शेष बचे थे।
ये भी पढ़ें-दशहरे को जलेबी खाने की परंपरा के पीछे का क्या है रहस्य, जानिए भगवान श्रीराम से क्या है इसका संबंध
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान राम ने विभीषण को समझाया कि रावण एक प्रकांड पंडित था। साथ ही यह भी कहा कि मृत्यु के साथ ही पाप भी नष्ट हो जाते हैं। ऐसे में रावण का अंतिम संस्कार करने में कोई बुराई नहीं है।
भगवान राम विभीषण से कहते हैं कि अब तुम्हें अपने भाई को क्षमा कर देना चाहिए और सम्मान पूर्वक रावण का दाह संस्कार करना चाहिए। तब राम जी के कहने पर विभीषण ने ऐसा ही किया।