
वायरल वीडियो के स्क्रीनशॉट। (सोर्स - सोशल मीडिया)
Pakistan Minority Rights : पाकिस्तान की संसद में हाल ही में एक ऐसा भाषण हुआ, जिसने पूरे देश में चर्चा शुरू कर दी। यह भाषण पाकिस्तान के हिंदू सांसद दिनेश कुमार ने दिया, जो अपनी संसद में अल्पसंख्यक समुदायों—खासकर हिंदुओं और ईसाइयों—की धार्मिक स्वतंत्रता और जबरन धर्मांतरण के मुद्दे को जोरदार तरीके से उठा रहे थे। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के संविधान का अनुच्छेद 20 हर नागरिक को अपने धर्म का पालन करने और उसका प्रचार करने का अधिकार देता है।
लेकिन सवाल यह है कि क्या यह अधिकार अल्पसंख्यक समुदायों को वास्तव में मिल पाता है? सांसद ने कहा कि कागज़ों पर दिए गए अधिकार और जमीन पर मिलने वाली स्वतंत्रता में बहुत फर्क है। इसी वजह से उनका यह भाषण संसद के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हो गया और लोग इस पर लगातार चर्चा कर रहे हैं।
Our Pakistani Muslim brothers often invite us non Muslim Pakistanis to embrace Islam. They warn us about the fire of hell and they criticise the beliefs that they describe as idol worship. I want to draw the attention of this House to a fundamental point. Article 20 of the… pic.twitter.com/NDimICenU5 — Senator Danesh Kumar Palyani (@palyani) December 5, 2025
अपने भाषण में दिनेश कुमार ने कई उदाहरण देते हुए बताया कि पाकिस्तान में अक्सर अल्पसंख्यक समुदायों को इस्लाम अपनाने के लिए कहा जाता है। उन्होंने कहा कि कई बार हमारे पाकिस्तानी मुस्लिम भाई हमें नर्क की आग, पाप और मूर्तिपूजा जैसे शब्दों से डराकर इस्लाम में आने का निमंत्रण देते हैं।
उन्होंने सवाल उठाया कि जब संविधान सबको अपने धर्म का प्रचार करने का अधिकार देता है, तो क्या एक हिंदू या ईसाई नागरिक खुलकर अपने धर्म का प्रचार कर सकता है? सांसद ने साफ-साफ कहा कि अल्पसंख्यकों के लिए ऐसा करना लगभग असंभव है, क्योंकि उन्हें डर, विरोध या सामाजिक दबाव का सामना करना पड़ सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता केवल संविधान की किताब तक सीमित न रहे, बल्कि उसे वास्तविक जीवन में लागू किया जाना चाहिए ताकि अल्पसंख्यक समुदाय सुरक्षित और सम्मानित महसूस कर सकें।
दिनेश कुमार के भाषण का वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर पहुंचा, लोगों की प्रतिक्रियाएं आने लगीं। कई यूजर्स ने कहा कि यह भाषण पाकिस्तान की असल स्थिति को सामने लाता है और अल्पसंख्यकों की आवाज़ बनता है। बहुत से लोगों ने सांसद की बहादुरी की तारीफ की और कहा कि ऐसे मुद्दों पर खुलकर बोलने की जरूरत है।
हालांकि कुछ लोगों ने उनकी बातों की आलोचना भी की, लेकिन ज्यादातर टिप्पणियों में यह देखा गया कि लोग पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकारों और धर्मांतरण की समस्याओं को लेकर चिंतित हैं। कई लोगों ने सुझाव दिया कि पाकिस्तान को अपने संविधान में मौजूद अधिकारों को सच में लागू करना चाहिए ताकि हर नागरिक बिना डर-भय के अपने धर्म का पालन कर सके। सांसद का यह भाषण अब देश और विदेश में बहस का बड़ा मुद्दा बन गया है।






