
वायरल वीडियो के स्क्रीनशॉट। (सोर्स - सोशल मीडिया)
Indian Athletes Viral Video : देश में खेल प्रतिभाओं को बढ़ावा देने की बातें तो खूब होती हैं, लेकिन जमीनी हकीकत अक्सर इसके उलट नजर आती है। ओडिशा से उत्तर प्रदेश में आयोजित राष्ट्रीय स्कूल कुश्ती चैंपियनशिप में भाग लेने जा रहे 18 युवा पहलवानों का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया है।
इस वीडियो में 10 लड़के और 8 लड़कियां ट्रेन के शौचालय के पास फर्श पर बैठकर सफर करते दिख रहे हैं। ठंड के मौसम में बच्चे कंबल और शॉल ओढ़कर किसी तरह खुद को ठंड से बचाने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं। यह दृश्य खेल प्रेमियों के लिए बेहद दुखद और शर्मनाक है।
ओडिशा के खिलाड़ी इस तरह राष्ट्रीय खेल में भाग लेने जा रहे है। ऐसी परिस्थिति में आप उम्मीद करते है कि ये ग्लोबल स्तर पर गोल्ड जीतें। कड़वी सच्चाई है कि देश में जो भी खिलाड़ी चमकता है वह अपने स्तर पर अपनी मेहनत से।
और जब जीत जाते हैं तब सब सुख से साथी बन जाते हैं। pic.twitter.com/H5sMUkalGn — Narendra Nath Mishra (@iamnarendranath) December 23, 2025
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इन सभी खिलाड़ियों को ओडिशा के स्कूल एवं जन शिक्षा विभाग द्वारा राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भेजा गया था, लेकिन विभाग की ओर से उनके लिए कोई भी रिजर्व टिकट की व्यवस्था नहीं की गई। मजबूरी में इन नाबालिग खिलाड़ियों को सामान्य डिब्बे में, वो भी शौचालय के पास बैठकर यात्रा करनी पड़ी।
सबसे गंभीर बात यह रही कि न तो किसी अभिभावक और न ही किसी शिक्षक को बच्चों के साथ यात्रा करने की अनुमति दी गई। इससे बच्चों की सुरक्षा को लेकर भी सवाल खड़े हो गए हैं। प्रतियोगिता खत्म होने के बाद वापसी के दौरान भी खिलाड़ियों को इसी तरह के हालात का सामना करना पड़ा।
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इस वीडियो के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। यूजर्स सवाल उठा रहे हैं कि जब खिलाड़ी पदक जीतते हैं तब ही सरकारें उन्हें याद क्यों करती हैं? खेल विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की लापरवाही से खिलाड़ियों का मनोबल टूटता है और उनकी सेहत पर भी असर पड़ता है।
हैरानी की बात यह है कि इतने बड़े विवाद के बावजूद अब तक स्कूल एवं जन शिक्षा विभाग की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। यह मामला न सिर्फ सिस्टम की संवेदनहीनता दिखाता है, बल्कि यह भी सवाल खड़ा करता है कि क्या हमारे देश में उभरते खिलाड़ियों की कद्र सिर्फ मंच तक ही सीमित है?






