
दिल्ली का पानी। प्रतीकात्मक, इमेज-एआई
Delhi Water: दिल्ली की खराब होकर पहले से आम लोग चिंतित हैं। यहां तक अदालत ने भी दिल्ली की हवा की गुणवत्ता को लेकर सख्त टिप्पणी की है। इस बीच अब दिल्ली के ग्राउंड वॉटर को लेकर हुई एक रिसर्च में चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। यहां के ग्राउंड वॉटर में जहर घुलता जा रहा है। नाइट्रेट, फ्लोराइड, खारापन (सलिनिटी), क्लोराइड, आयरन, आर्सेनिक और यूरेनियम जैसे हानिकारक तत्व तय मानक से ज्यादा पाए गए हैं। पानी को पीने से कैंसर का खतरा हो सकता है। बच्चों में ब्लू बेबी सिंड्रोम होने की आशंका बढ़ जाती है।
दिल्ली के ग्राउंड वॉटर की क्वॉलिटी को लेकर केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) ने रिसर्च की थी। बोर्ड ने अपनी एनुअल ग्राउंड वॉटर क्वालिटी रिपोर्ट शनिवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) को सौंपी है। सीजीडब्ल्यूबी ने दिल्ली के अलग-अलग इलाकों से ग्राउंड वॉटर के 103 सैंपल लेकर लैब में टेस्टिंग की थी। रिपोर्ट में 2023 के प्री-मॉनसून (मई) में लिए गए सैंपलों का एनालिसिस भी किया गया है। इसमें कई जिलों में समस्या पाई गई।
रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के उत्तर, उत्तर-पश्चिम, शाहदरा, दक्षिण-पश्चिम और पश्चिम जिले में पानी की क्वॉलिटी घटिया है। मानसून से पहले और बाद की तुलना में स्थिति और बिगड़ी है। 24 सैंपलों में से 11 जगहों पर पहले समस्या थी, जो बढ़कर 13 स्थानों पर पहुंच गई है।
20.39% सैंपलों में नाइट्रेट तय मात्रा से ज्यादा पाया गया है। कुल इलाकों के पानी में नाइट्रेड का लेवल 994 mg/l मिला। ये सुरक्षित मात्रा से 22 गुना ज्यादा है। नाइट्रेट मुख्य रूप से खाद और प्रदूषण के कारण पानी में आता है। पानी में ज्यादा नाइट्रेट होने से कैंसर का खतरा बढ़ता है। बच्चों को ऐसा पानी पिलाया गया तो वो ब्लू बेबी सिंड्रोम जैसी गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। 17.48% सैंपलों में क्लोराइड भई सुरक्षित मात्रा से ज्यादा मिला है। ज्यादा क्लोराइड वाला पानी पीने से किडनी पर बुरा असर पड़ सकता है। बाद में जाकर किडनी फेल्योर का कारण बन सकता है।
पूर्वी दिल्ली और दक्षिण-पूर्व दिल्ली के पानी में आयरन ज्यादा पाया गया है। ऐसा पानी पीने से पेट की समस्याएं होती हैं। पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी जिलों में लिए गए सैंपल में आर्सेनिक की मात्रा ज्यादा मिली। ये स्कीन कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों का कारण होता है। पानी में यूरेनियम की समस्या भी गंभीर है। उत्तर, उत्तर-पश्चिम, दक्षिण, दक्षिण-पूर्व, दक्षिण-पश्चिम और पश्चिम जिलों में लिए गए 7.77% सैंपलों में ये रेडियोएक्टिव तत्व पाया गया। यूरेनियम लंबे समय में किडनी और कैंसर का खतरा बढ़ा देता है।
रिपोर्ट के अनुसार 16.50% सैंपलों में फ्लोराइड सुरक्षित मानकों से ज्यादा पाया गया है। ये सैंपल नई दिल्ली, उत्तर, उत्तर-पश्चिम, शाहदरा, दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम जिले में लिए गए थे। ज्यादा फ्लोराइड वाला पानी पीने से दांतों पर दाग और हड्डियां कमजोर हो सकती हैं।
दिल्ली के खराब पानी का असर खेती-किसानी पर भी पड़ रहा। सिंचाई क्षमता की जांच की गई है। इसके अनुसार 12.62% सैंपलों में सोडियम का लेवल ज्यादा मिला। सोडियम सिंचाई के लिए खतरनाक नहीं है, लेकिन इसमें सावधानी बरतना जरूरी है।
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रिपोर्ट में ग्राउंड वॉटर की बिगड़ती हालत को सुधारने के लिए कई अहम सिफारिशें की गई हैं। बोर्ड ने खेती में रासायनिक खाद का कम इस्तेमाल करने की सलाह दी। दूषित इलाकों में लोगों को ऑप्शनल वॉटर सोर्स मुहैया कराने की जरूरत बताई। रिपोर्ट में जोर दिया गया है कि भूजल की समस्या से निपटने के लिए सरकार, वैज्ञानिकों और आम नागरिकों को मिलकर काम करना होगा।






