प्रतीकात्मक फोटो, सोर्स- सोशल मीडिया
Uttarakhand News: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से कई भाजपा विधायकों ने मुलाकात कर परीक्षा रद्द करने की मांग की थी। विधायकों ने कहा कि पारदर्शिता और युवाओं के भरोसे को बनाए रखने के लिए यह फैसला जरूरी है। अब इसे रद्द कर दिया है और पुनः तीन महीने बाद परीक्षा कराए जाने के लिए कहा गया है।
सरकार ने सभी शिकायतों और परिस्थितियों को देखते हुए उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) द्वारा आयोजित स्नातक स्तरीय परीक्षा को रद्द करने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही अब इस पूरे मामले की सीबीआई जांच कराए जाने की तैयारी भी तेज कर दी गई है।
राज्य सरकार के इस निर्णय पर भाजपा ने समर्थन जताया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि मुख्यमंत्री धामी ने युवाओं की भावनाओं का सम्मान किया है। उन्होंने कहा, “यह फैसला बताता है कि सरकार पारदर्शिता और निष्पक्ष भर्ती प्रक्रिया के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। अब युवाओं को भरोसा होना चाहिए कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।” साथ ही चौहान ने यह भी कहा कि भाजपा सरकार युवाओं के हितों से कोई समझौता नहीं करेगी और भविष्य में भर्ती प्रक्रियाओं को पूरी तरह पारदर्शी बनाया जाएगा।
वहीं, कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले को मजबूरी बताया है। कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि सरकार ने परीक्षा रद्द करने का फैसला युवाओं और विपक्ष के लगातार दबाव के कारण लिया है। उन्होंने कहा, “सरकार तब जागी, जब युवाओं का गुस्सा सड़कों पर फूट पड़ा।”
गरिमा ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार के संरक्षण में ही ऐसे पेपर लीक नेटवर्क फल-फूल रहे हैं और अब सीबीआई जांच केवल दिखावा न बन जाए, इस पर नजर रखनी होगी। अगर पहले ही निष्पक्ष जांच कराई जाती, तो युवाओं को बार-बार आंदोलन नहीं करना पड़ता। लगातार सामने आ रहे भर्ती घोटाले सरकार की विफलता को उजागर करते हैं।
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इस बीच उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने सरकार के निर्णय का स्वागत करते हुए सीबीआई जांच की त्वरित शुरुआत की मांग की है। संघ के अध्यक्ष राम कंडवाल ने कहा, “केवल परीक्षा निरस्त करने से बात खत्म नहीं होती। जरूरत है कि जांच जल्द शुरू हो और इसमें शामिल अधिकारी, नेता या संस्थान चिन्हित किए जाएं। जब तक दोषियों को सजा नहीं मिलती, तब तक यह फैसला अधूरा रहेगा।”