राहुल गांधी व अखिलेश यादव (डिजाइन फोटो)
लखनऊ: लोकसभा चुनाव के बाद से ‘इंडिया’ गठबंधन में में लगातार तनातनी चल रही थी। किसी भी राज्य में विपक्षी गठबंधन के सभी दलों ने मिलकर चुनाव नहीं लड़ा। हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र और यूपी में हुए उपचुनाव तक में बिखराव की कहानी बयां की। हरियाणा चुनाव के बाद सपा ने कांग्रेस पर कई तीखे हमले भी किए। लेकिन बीते कल प्रयागराज में अखिलेश यादव ने एक बार फिर से 2027 का चुनाव ‘इंडिया’ गठबंधन के साथ लड़ने का ऐलान करके सभी को हैरान कर कर दिया।
सपा मुखिया अखिलेश यादव के इस ताजा ऐलान के बाद यह सवाल हर एक जेहन में कौंध रहा है कि आखिर ऐसा क्या हुआ जिसके चलते अन्य राज्यों में समाजवादी पार्टी के साथ गैरों वाला बर्ताव करने वाली कांग्रेस पार्टी को साथ लेकर 2027 में साथ लेकर चलने की बात हो रही है? तो चलिए इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश करते हैं…
बता दें कि उत्तर प्रदेश के अंदर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच ‘कभी खुशी-कभी गम’ का रिश्ता रहा है। 2017 विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियों की बीच अलायंस हुआ लेकिन चुनाव बाद ही रिश्ते नासाज हो गए। 2019 में दोनों ही पार्टियों के बीच बात नहीं बनी। ऐसा ही हाल 2022 में भी रहा।
हालांकि, 2024 में यहां दोनों ने ‘इंडिया’ गठबंधन के बैनर तले साथ मिलकर चुनाव लड़ा जिसका दोनों को ही फायदा भी हुआ। इस चुनाव में कांग्रेस एक सीट से 6 सीट पर पहुंच गई। वहीं, समाजवादी पार्टी भी 5 सांसदों से 37 सांसदों के साथ देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई।
इसके बाद हरियाणा चुनाव में ‘आप’ ने पहले ही ‘इंडिया’ गठबंधन से किनारा कर लिया। साथ ही कांग्रेस ने सपा को भी साथ नहीं लिया। चुनाव होने के बाद कई सपा नेताओं ने कांग्रेस की हार पर तंज कसा। उन्होंने यह भी कहा कि साथ मिलकर लड़ते तो हरियाणा से भी बीजेपी का सफाया हो जाता। इसके बाद महाराष्ट्र चुनाव में भी सीटों पर बात नहीं बनी और सपा ने अकेले चुनाव लड़ा।
इतना सब होने के बावजूद समाजवादी पार्टी के मुखिया ने ऐलान किया है कि 2027 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव ‘भारत’ गठबंधन के साथ लड़ा जाएगा। इसका मतलब है कि आने वाले चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी मिलकर चुनाव लड़ने जा रही है। इसके पीछे दो बड़े कारण निकलकर सामने आए हैं।
समाजवादी पार्टी में मौजूद सूत्रों की मानें तो अखिलेश यादव की इस उदारदिली के पीछे कांग्रेस की कुर्बानी है। हरियाणा में भले ही दोनों पार्टियों के बीच बात नहीं बनी थी, लेकिन महाराष्ट्र में सपा को साथ न लेकर चलने के बदले में यूपी उपचुनाव में कांग्रेस ने कुर्बानी देते हुए चुनाव न लड़ने का फैसला किया था।
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इसके अलावा सियासी पंडित इसे फायदे का सौदा करार देते हुए कह रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस का गठजोड़ 2024 में कामयाब रहा है। यही वजह है कि दोनों ही पार्टियों ने शायद यह तय कर रखा है कि 2027 में एक साथ आकर बीजेपी को सूबे की सत्ता से बेदखल करने का काम करेंगे। हालांकि, चुनाव के वक्त में सीट शेयरिंग पर बात बनेगी या नहीं यह अभी भी भविष्य के गर्भ में छिपा हुआ है।