लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर आजाद समाज पार्टी मुखिया चंद्रशेखर आजाद ने शनिवार को मिल्कीपुर से उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है। इस ऐलान के साथ ही उत्तर प्रदेश के राजनैतिक गलियारों में यह सवाल चौकड़ी भरने लगा है कि अगर आसपा यहां मजबूती से लड़ती है तो इसका खामियाजा किसे भुगतना पड़ेगा?
उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए आजाद समाज पार्टी ने 5वीं विधानसभा सीट के लिए अपने प्रत्याशी की घोषणा कर दी है। चंद्रशेखर आजाद ने मिल्कीपुर विधानसभा सीट से रणधीर भारती कोरी पर बड़ा दांव लगाया है। उनके नाम की घोषणा आज यानी शनिवार को की गई और पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ने के लिए पूरी ताकत लगाने को कहा गया है।
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नगीना लोकसभा सांसद चंद्रशेखर आजाद ने सबसे पहले यूपी की 10 विधानसभा सीटों होने वाले उपचुनावी रण में कूदने का ऐलान किया था। उसके बाद से प्रत्याशियों की घोषणा का सिलसिला जारी है। चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी ने अब तक पांच सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा की है। इनमें मुजफ्फरनगर लोकसभा की मीरापुर विधानसभा सीट से जाहिद हुसैन, गाजियाबाद जिले की गाजियाबाद सदर से चौधरी सतपाल सिंह, मुरादाबाद जिले की कुंदरकी विधानसभा सीट से हाजी चांद बाबू, मिर्जापुर जिले की मंझवा विधानसभा सीट से धीरेंद्र मौर्य के नाम पर मुहर लगी है।
इस कड़ी में एक और नाम जोड़ते हुए शनिवार को उन्होंने अयोध्या जिले की मिल्कीपुर विधानसभा सीट से रणधीर भारती कोरी के नाम का ऐलान हुआ है। रणधीर भारती कोरी पार्टी के पुराने कार्यकर्ता हैं और पार्टी के हर संघर्ष में शामिल रहे हैं। किसी और को टिकट देने की बजाय उनका नाम फाइनल किया गया है। जिसके बाद सवाल उठने लगा है कि अगर मिल्कीपुर में दलित वोट बंटे तो सबसे ज्यादा नुकसान किसको होगा?
रिपोर्ट्स के मुताबिक मिल्कीपुर सीट पर करीब 80 हजार यादव तो 1 लाख 20 हजार के आस-पास दलित वोटर है। वह एकमुश्त जिसकी तरफ चला जाता उसकी जीत लगभग तय हो जाती है। अवधेश प्रसाद की जीत में भी यादव के साथ दलित वोटर्स अहम भूमिका निभाते रहे हैं।
अब आसपा प्रत्याशी के मैदान में आने से दलित वोटर के बंटने की संभावनाएं हैं। यहां सपा को मात देने के लिए किसी भी दलित वोटर्स को साथ लेना ज़रूरी है। 2017 में बीजेपी इसमें कामयाब रही थी। अब इस बार फिर बीजेपी दलित वोटर्स को लुभाकर सपा को मात देने के मूड में थी लेकिन चंद्रशेखर के मैदान में आने से इन संभावनाओं पर पानी फिरता हुआ दिखाई दे रहा है।
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