(डिज़ाइन फोटो)
बहराइच: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इन दिनों किसी माफिया या गुंडे से नहीं, बल्कि भेड़िए को पकड़ने के लिए जूझ रही है। भेड़िये को पकड़ने के लिए सरकारी मशीनरी ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है, लेकिन न तो भेड़िए पकड़ में आ रहे हैं, न ही उसके हमले को रोक पा रहे हैं। यहां के तराई इलाके बहराइच और सीतापुर में भेड़िए के कारण दहशत पूरे क्षेत्र में दहशत फैला हुआ है। भेड़ियों का ये आतंक अचानक इतना क्यों फैल गया है, इस पर एक्सपर्ट ने खुलासा किया है।
भेड़ियों के ये हमले बरसात के मौसम में बढ़े हैं। जुलाई माह से लेकर बीते सोमवार रात तक भेड़िये के हमलों से सात बच्चों समेत कुल आठ लोगों की मौत हो चुकी है। महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सहित करीब 36 लोग घायल भी हुए हैं। हालांकि इस खूनी भेड़िए को पकड़ने में अफसरों की लंबी-चौड़ी फौज, स्पेशल टॉस्क फोर्स तक लगी हुई। यहां तक कि ड्रोन की भी मदद ली जा रही है। इसके साथ ही CM यागी भी इसकी पूरी अपडेट रख रहे हैं। लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकल रहा है। भेड़यों के झुंड में कितने सदस्य हैं, इसका अब तक अनुमान ही लगाया जा रहा है। हाल ही में राज्य को बहराइच में फिर से भेड़िए ने एक 5 साल की बच्ची पर हमला किया है।
#WATCH | Bahraich, Uttar Pradesh: On the search operation, General Manager of Forest Department Sanjay Pathak says, “We are tracking them (wolves). No untoward incident has been reported. Drones are also being used in the search operation…” https://t.co/ZEtqpYxeGQ pic.twitter.com/Hr4BGKKP6z
— ANI (@ANI) September 4, 2024
इस बाबत वन विभाग के महाप्रबंधक संजय पाठक ने आज भेड़िया तलाश अभियान पर बताया, “हम ट्रैक कर रहे हैं। (रात भर) कोई अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली है। कल रात ड्रोन के जरिए भेड़िएकी तलाश की जा रही थी, लेकिन वह कहीं नहीं दिखा, तलाश जारी है।”
इधर आदमखोर भेड़ियों के बढ़ते हमलों के बीच विशेषज्ञों का कहना है कि भेड़िए बदला लेने वाले जानवर होते हैं और संभवत: पूर्व में इंसानों द्वारा उनके बच्चों को नुकसान पहुंचाए जाने के प्रतिशोध के रूप में ये हमले किए जा रहे हैं। इस बाबत भारतीय वन सेवा (IFS) के सेवानिवृत्त अधिकारी और बहराइच जिले के कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग में वन अधिकारी रह चुके ज्ञान प्रकाश सिंह अपने तजुर्बे के आधार पर बताते हैं कि भेड़ियों में बदला लेने की प्रवृत्ति होती है और पूर्व में इंसानों द्वारा उनके बच्चों को किसी ने किसी तरह की हानि पहुंचाई गई होगी, जिसके बदले के स्वरूप ये हमले हो रहे हैं।
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सिंह ने पूर्व के एक अनुभव का जिक्र करते हुए बताया, “20-25 साल पहले उत्तर प्रदेश के जौनपुर और प्रतापगढ़ जिलों में सई नदी के कछार में भेड़ियों के हमलों में 50 से अधिक इंसानी बच्चों की मौत हुई थी। पड़ताल करने पर पता चला था कि कुछ बच्चों ने भेड़ियों की एक मांद में घुसकर उनके दो बच्चों को मार डाला था। भेड़िया बदला लेता है और इसीलिए उनके हमले में इंसानों के 50 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई। बहराइच में भी कुछ ऐसा ही मामला लगता है।”
उन्होंने कहा, “जौनपुर और प्रतापगढ़ में भेड़ियों के हमले की गहराई से पड़ताल करने पर मालूम हुआ कि अपने बच्चे की मौत के बाद भेड़िएकाफी उग्र हो गए थे। वन विभाग के अभियान के दौरान कुछ भेड़िएपकड़े भी गए थे, लेकिन आदमखोर जोड़ा बचता रहा और बदला लेने के मिशन में कामयाब भी होता गया। हालांकि, अंतत: आदमखोर भेड़िएचिह्नित हुए और दोनों को गोली मार दी गई, जिसके बाद भेड़ियों के हमले की घटनाएं बंद हो गईं।”
सिंह के अनुसार, बहराइच की महसी तहसील के गांवों में हो रहे हमलों का पैटर्न भी कुछ ऐसा ही एहसास दिला रहा है। उन्होंने कहा, “इसी साल जनवरी-फरवरी माह में बहराइच में भेड़ियों के दो बच्चे किसी ट्रैक्टर से कुचलकर मर गए थे। तब उग्र हुए भेड़ियों ने हमले शुरू किए तो हमलावर भेड़ियों को पकड़कर 40-50 किलोमीटर दूर बहराइच के ही चकिया जंगल में छोड़ दिया गया। संभवतः यहीं थोड़ी गलती हुई।”
सिंह ने यह भी बताया, “चकिया जंगल में भेड़ियों के लिए प्राकृतिक वास नहीं है। ज्यादा संभावना यही है कि यही भेड़िएचकिया से वापस घाघरा नदी के किनारे अपनी मांद के पास लौट आए हों और बदला लेने के लिए हमलों को अंजाम दे रहे हों।अभी तक जो चार भेड़िएपकड़े गए हैं, वे सभी आदमखोर हमलावर हैं, इसकी उम्मीद बहुत कम है। हो सकता है कि एक आदमखोर पकड़ा गया हो, मगर दूसरा बच गया हो। शायद इसीलिए पिछले दिनों तीन-चार हमले हुए हैं।”
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वहीं इस मामले में बहराइच के प्रभागीय वन अधिकारी अजीत प्रताप सिंह का भी कहना है, “शेर और तेंदुओं में बदला लेने की प्रवृत्ति नहीं होती, लेकिन भेड़ियों में होती है। अगर भेड़ियों की मांद से कोई छेड़छाड़ होती है, उन्हें पकड़ने या मारने की कोशिश की जाती है या फिर उनके बच्चों को किसी तरह का नुकसान पहुंचता है, तो वे इंसानों का शिकार कर बदला लेते हैं।”
ऐसा भी कहा गया कि अगर आदमखोर भेड़िए पकड़ में नहीं आते हैं और उनके हमले जारी रहते हैं, तो अंतिम विकल्प के तौर पर उन्हें गोली मारने के आदेश दिए गए हैं। बहराइच के महसी तहसील क्षेत्र में भेड़ियों को पकड़ने के लिए थर्मल ड्रोन और थर्मोसेंसर कैमरे लगाए गए हैं। जिम्मेदार मंत्री, विधायक और वरिष्ठ अधिकारी या तो क्षेत्र में डटे हुए हैं या मुख्यालय से स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। फिलहाल आदमखोर भेड़िए खुले में हैं और अगले शिकार की फिराक में है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)