काशी में रंगभरी एकादशी उत्सव के दौरान की तस्वीर
लखनऊ: होली के मौके पर वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर और मथुरा के श्री कृष्ण जन्मभूमि के मंदिरों के बीच उपहारों के आदान-प्रदान की परंपरा शुरू की गई है। वाराणसी में हर साल होने वाले तीन दिवसीय रंगभरी एकादशी महोत्सव में मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और सोनभद्र से आए वनवासी भक्तों ने अपनी भेंट काशी विशवनाथ मंदिर को अर्पित की। रंगभरी एकादशी में सहभागिता करने आये वनवासी भक्तों के भेंट देने के दौरान काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मौजूद रहे।
उन्होंने बताया कि इस वर्ष होली के पर्व पर रंगभरी एकादशी से पहले श्री काशी विश्वनाथ धाम से भगवान विश्वनाथ द्वारा श्री कृष्ण जन्मस्थान मथुरा में विराजमान लड्डू गोपाल को तथा श्री कृष्ण जन्मस्थान से भगवान लड्डू गोपाल द्वारा श्री विश्वेश्वर महादेव को परस्पर उपहार सामग्री भेंट करने की शुरुआत की गई है। विश्व भूषण ने बताया कि काशी विश्वनाथ महादेव की प्रेरणा से शुरू हुए इस नवाचार के क्रियान्वयन के लिए कृष्ण जन्मस्थान मथुरा के सचिव कपिल शर्मा और गोपेश्वर चतुर्वेदी जी से बातचीत की गई थी।
मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण ने बताया कि दोनों मंदिरों के प्रबंधन द्वारा ईमेल के माध्यम से परस्पर अनुरोध एवं प्रस्ताव प्रेषित किए गए। इस सनातन नवाचार के तहत कृष्ण जन्मस्थान मथुरा से बाबा विश्वनाथ को अबीर, गुलाल, रंग, आदि अर्पित किए गए हैं जबकि काशी विश्वनाथ धाम से भगवान लड्डू गोपाल के लिए भस्म, अबीर-गुलाल, वस्त्र और चॉकलेट आदि भेंट भेजी गई थी। उन्होंने कहा कि कृष्ण और शिव भक्ति की दो प्रमुख सनातन धारा को जोड़ने वाला यह आयोजन सनातन धर्म की परंपराओं को और समृद्ध करेगा। इन दो तीर्थस्थलों के बीच समन्वय और श्रद्धा का आदान-प्रदान एक अभिनव पहल है, जिसे इस वर्ष के रंगभरी एकादशी और होली पर्व में सम्मिलित किया गया है।
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विश्व भूषण ने बताया कि इस उपहार आदान-प्रदान के साथ, दोनों धामों के भक्तों को विशेष रूप से भगवान लड्डू गोपाल के रूप में बाल स्वरूप के भगवान और बाबा विश्वनाथ से आशीर्वाद प्राप्त होगा। इस अवसर पर दोनों पवित्र स्थलों से उपहार भेजते समय तथा परस्पर प्राप्त उपहार स्वीकार करते समय समारोहपूर्वक उत्सव भी मनाया गया।
–राजेश मिश्रा की रिपोर्ट