राम मंदिर, फोटो - सोशल मीडिया
अयोध्या : श्रीराम जन्मभूमि मंदिर से जुड़ी एक और ऐतिहासिक घोषणा सामने आई है। राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने जानकारी दी है कि 31 मई को भगवान शिव की मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा के साथ मंदिर में स्थापना की जाएगी। मिश्र ने बताया कि मंदिर परिसर में सभी आवश्यक मूर्तियां पहुंच चुकी हैं और अब प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया प्रारंभ होगी। 3 जून से मंदिर में सभी मूर्तियों की नियमित पूजा-अर्चना शुरू कर दी जाएगी।
राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने बताया कि मंदिर का निर्माण तेजी से अपने पूर्णता की ओर बढ़ रहा है। सप्त मंदिर का कार्य पूर्ण हो चुका है और पारकोटा यानी मंदिर के चारों ओर की परिक्रमा पथ का 90% कार्य जून-जुलाई तक पूरा कर लिया जाएगा।
राम मंदिर परिसर में सप्त ऋषियों और पौराणिक पात्रों की भी मूर्तियां स्थापित की जाएंगी। इनमें शामिल हैं, महर्षि वाल्मीकि (रामायण के रचयिता), ऋषि अगस्त्य (वेदों के ज्ञाता), विश्वामित्र (राम के जीवन में अहम भूमिका निभाने वाले ऋषि), गुरु वशिष्ठ (राम के कुलगुरु), अहल्या (राम द्वारा उद्धार प्राप्त करने वाली पावन स्त्री), शबरी (राम को बेर अर्पित करने वाली भक्त) और निषादराज (वनवास के समय राम के सहयोगी)।
मंदिर में प्रदर्शनी और ऑडिटोरियम का कार्य भी प्रारंभ हो चुका है, जिसे मार्च 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य है। आने वाले दो महीनों में श्रद्धालुओं को मंदिर के सभी भागों में जाने की अनुमति दी जाएगी। इससे पहले शुक्रवार को नृपेंद्र मिश्र ने बताया था कि भगवान राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान की प्रतिमाएं मंदिर की पहली मंजिल पर स्थापित की जाएंगी।
उन्होंने आगे कहा कि सितंबर-अक्टूबर तक राम मंदिर परिसर का शेष निर्माण कार्य भी पूरा कर लिया जाएगा। जल निकासी, वाटरप्रूफिंग और अन्य आवश्यक तकनीकी कार्य चल रहे हैं, परंतु मुख्य ढांचा लगभग पूर्ण हो चुका है।
मंदिर का निर्माण पारंपरिक नागर शैली में किया गया है। इसका आकार 380 फीट लंबा (पूर्व से पश्चिम), 250 फीट चौड़ा और 161 फीट ऊंचा है। कुल 392 नक्काशीदार स्तंभ और 44 भव्य द्वार मंदिर को आधार प्रदान करते हैं।
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मंदिर की दीवारों और स्तंभों पर देवी-देवताओं की सुंदर मूर्तिकला की झलक देखने को मिलती है। गर्भगृह में भगवान राम के बाल स्वरूप (श्रीरामलला) की प्रतिमा स्थापित है, जिनका जनवरी में भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह हुआ था। तब से अब तक अयोध्या में लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आ रहे हैं। हनुमानगढ़ी मंदिर सहित संपूर्ण अयोध्या में श्रद्धालुओं की संख्या में दिन-प्रतिदिन तेजी से वृद्धि हो रही है।