सीएम योगी आदित्यनाथ (सोर्स-सोशल मीडिया)
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के चिनहट थाने में हिरासत के दौरान हुई मौत ने एक बार फिर सूबे का माहौल गरमा दिया है। इस पर विपक्षी दल सरकार को निशाना बना रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ कस्टोडियल डेथ को लेकर सूबे की पुलिसिया व्यवस्था औप सीएम योगी आदित्यनाथ के निजाम पर भी प्रश्न चिन्ह लगा दिए हैं।
उत्तर प्रदेश में पुलिस कस्टडी में यह मौत का मामला पहला नहीं है। इससे पहले भी कई आरोपियों की पुलिस हिरासत में मौत हो चुकी है। फिर चाहे जिक्र गोंडा में देवनारायण की मौत हो या हाथरस में राजकुमार चौहान की मौत की बात। इस बीच हम पिछले 6 साल आंकड़ा निकालकर लाए हैं जिससे आपको यह बता सकें कि सूबे में योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद पुलिस हिरासत में कितनी मौतें हो चुकी हैं।
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दरअसल राजधानी लखनऊ में मामूली विवाद में पुलिस ने मोहित पांडेय नामक व्यक्ति को हिरासत में लिया था। रात 11 बजे पुलिस ने आरोपी को उठाया और रात डेढ़ बजे सूचना आई कि उसकी तबीयत खराब हो गई है, इलाज के दौरान अस्पताल में उसकी मौत हो गई, अब पुलिस हिरासत में हुई इस मौत पर हंगामा हो रहा है। आरोप लगाए जा रहे हैं कि पुलिस की पिटाई से युवक की मौत हुई है। यह मामला लखनऊ के चिनहट थाने का है।
साल 2018 से 2019 के बीच पुलिस हिरासत में 12 लोगों की मौत हुई। 2019 से 2020 के बीच पुलिस हिरासत में 3 लोगों की मौत हुई। 2020 से 2021 के बीच पुलिस हिरासत में 8 लोगों की मौत हुई। 2021 से 2022 के बीच भी पुलिस हिरासत में 8 लोगों की मौत हुई। 2022 से 2023 के बीच पुलिस हिरासत में 10 लोगों की मौत हुई। अगर इस साल यानी 2024 की बात करें तो अब तक पुलिस हिरासत में 4 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।
चिनहट पुलिस थाने में हुई मोहित पांडेय की मौत पर सूबे का सियासी पारा भी हाई हो गया है। प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और मैनपुरी से सांसद डिंपल यादव ने इस घटना को लेकर योगी सरकार को घेरा है। इसके साथ ही बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी प्रदेश सरकार पर सवाल उठाए हैं।
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