सांकेतिक तस्वीर (सोर्स-सोशल मीडिया)
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के 27000 बेसिक शिक्षा विद्यालय बंद नहीं होंगे और इन विद्यालयों को विलय कर दूसरे में समायोजित करने की कोई योजना नहीं है। इस संबंध में बेसिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर पोस्ट किया है। जिसमें विभाग ने कहा है कि प्रदेश के 27000 बेसिक विद्यालयों को बंद करने की खबर पूरी तरह से भ्रामक और झूठी है। साथ ही विभाग ने कहा कि किसी भी विद्यालय को बंद करने की कोई प्रक्रिया नहीं चल रही है।
मीडिया में ऐसी खबरें आई थीं कि उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग प्रदेश भर में करीब 27,000 ऐसे बेसिक विद्यालयों को बंद कर सकता है, जिनमें 50 से कम विद्यार्थी नामांकित हैं। विभाग की ओर से जारी बयान के बाद अब यह स्पष्ट हो गया है कि प्रदेश में बेसिक शिक्षा का कोई भी विद्यालय बंद नहीं किया जा रहा है।
कतिपय समाचार माध्यमों में प्रकाशित खबर जिसमे २७००० प्राथमिक विद्यालयों को निकटवर्ती विद्यालयों में विलय करते हुए बंद करने की बात की गई है बिल्कुल भ्रामक एवं निराधार है. किसी भी विद्यालय को बंद किए जाने की कोई प्रक्रिया गतिमान नहीं है । — Department Of Basic Education Uttar Pradesh (@basicshiksha_up) November 4, 2024
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा ने 23 अक्टूबर को समीक्षा बैठक की थी, जिसमें उन्होंने सभी ब्लॉक स्कूल प्रशासकों (बीएसए) को इन खराब प्रदर्शन करने वाले विद्यालयों का आकलन करने और विलय की तैयारी करने के निर्देश दिए थे।
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केंद्र सरकार के मौजूदा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और इन विद्यालयों में उपलब्ध सीमित सुविधाओं का अधिकतम उपयोग करने के प्रस्ताव के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया। वहीं, एक अधिकारी ने बताया था कि प्राथमिक उद्देश्य कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को अधिक नामांकन वाले नजदीकी स्कूलों में एकीकृत कर संसाधनों को मजबूत करना है।
इस संबंध में 13 या 14 नवंबर को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों की एक मीटिंग भी होनी थी, जिसमें इस मुद्दे पर चर्चा होनी थी। अकेले लखनऊ में 1,618 सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में से 300 से अधिक विद्यालय ऐसे हैं, जहां छात्रों की संख्या 50 से कम है। हाल ही में सभी मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशकों और बेसिक शिक्षा अधिकारियों की बैठक में बताया गया कि इस सत्र में बच्चों की संख्या 1.49 करोड़ है।
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