देवेन्द्र फौजी (सोर्स- सोशल मीडिया)
UP News: कलुआ गिरोह के खूंखार डकैत देवेंद्र फौजी को चार पुलिसकर्मियों की हत्या के जुर्म में 28 साल बाद अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। दस्यु प्रभावित क्षेत्र के विशेष न्यायाधीश शैलेंद्र सचान ने देवेंद्र पर 12 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। मृतक और घायलों के परिजनों को एक-एक लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया गया है।
देवेंद्र को तीन पीएसी जवानों और एक ग्रामीण की हत्या के जुर्म में पहले ही फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। वह फिलहाल जेल में है। कंपिल थाने के हेड कांस्टेबल रामसेवक यादव ने पीलीभीत जिले के बीसलपुर थाने के परनिया निवासी देवेंद्र फौजी और अन्य के खिलाफ कंपिल थाने में मुकदमा दर्ज कराया था।
इसमें कहा गया था कि 26 मार्च 2003 को सुबह 10 से 11:30 बजे के बीच सिंगनपुर की गंगा घाटी में पुलिस तलाशी अभियान के दौरान देवेंद्र फौजी और उसके साथियों ने कांस्टेबल इंद्रपाल का अपहरण कर लिया था। इसके बाद अंधाधुंध गोलीबारी हुई, जिसमें तत्कालीन एसएचओ कंपिल राजेश सिंह, एसआई उदयवीर सिंह, कांस्टेबल उमेश यादव और पीएसी जवान सेवा राम शहीद हो गए।
दस पुलिसकर्मी भी घायल हुए। डकैतों ने हथियार भी लूट लिए। अपहृत कांस्टेबल इंद्रपाल को अगले दिन रिहा कर दिया गया। जांच अधिकारी ने अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया। सरकारी वकील तेज सिंह राजपूत और कृष्ण कुमार पांडे की दलीलों के आधार पर न्यायाधीश ने देवेंद्र उर्फ फौजी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
डकैत देवेंद्र फौजी वर्तमान में बरेली जेल में बंद है। अभियोजन पक्ष के अनुसार, देवेंद्र को शाहजहांपुर जिले में दो और बदायूं जिले में दो मामलों में आजीवन कारावास और फर्रुखाबाद में एक मामले में मृत्युदंड की सजा सुनाई गई है। देवेंद्र के खिलाफ कुल 30 मामले दर्ज हैं।
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11 सितंबर, 2005 को अपराधी कलुआ और उसके गिरोह ने कंपिल कटरा में पुलिस और पीएसी टीम को घेर लिया और उन पर घात लगाकर हमला किया। इसमें अपराधियों की ओर से की गई गोलीबारी में हेड कांस्टेबल चंद्रपाल सिंह, लांस नायक इशरत अली, कांस्टेबल दिलीप कुमार तिवारी और ग्रामीण द्रगपाल की मौत हो गई।