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लखनऊ: कांग्रेस में विधानसभा चुनावों में टिकटों की रेस पंचायत चुनावों से ही शुरू हो जाएगी। यूपी कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि अगर विधान सभा चुनावों में टिकट चाहिए तो अपने क्षेत्र में पार्टी के पंचायत उम्मीदवारों को जिताएं। जो जितना सफल होगा, उसकी दावेदारी उतनी ही पुख्ता होगी। उत्तर प्रदेश में अगले साल मार्च और अप्रैल में पंचायत चुनाव प्रस्तावित हैं।
मिशन 2027 में लंबी छलांग लगाने की तैयारी में जुटी कांग्रेस पंचायत चुनावों को ‘टेकऑफ बोर्ड’ की तरह देख रही है। वह चाहती है कि पंचायत चुनावों में वह अच्छा प्रदर्शन करे ताकि विधानसभा चुनावों में उसे फायदा मिल सके। कांग्रेस एक तरफ तो बूथ स्तर तक संगठन बनाने के लिए 100 दिनों का कार्यक्रम तय करके आगे बढ़ रही है।
कांग्रेस ने विधान सभा चुनावों में पार्टी की उम्मीदवारी चाहने वालों को भी साफ कर दिया है कि वे पंचायत चुनावों पर अभी से ध्यान केंद्रित करें। जिन्हें भी पार्टी अपना प्रत्याशी बनाए, उसे जिताने का हर संभव प्रयास करें। जो भी अपने क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा उम्मीदवार जिता सकेगा, उसकी उस विधान सभा में टिकट की दावेदारी उतनी ही पुख्ता हो जाएगी।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय राय ने साफ तौर पर कहा है कि पंचायत चुनावों को पार्टी बेहद गंभीरता से ले रही है। जो भी लोग टिकट चाहते हैं वे अपने क्षेत्र में पंचायत के पार्टी उम्मीदवारों को जिताकर लाएं। इसे उनकी दावेदारी में एक पैमाने की तरह देखा जाएगा।’
कांग्रेस के इस दांव पर सियासी जानकारों का कहना है कि पार्टी इस तरह से अपने नए बन रहे संगठन का तो परीक्षण करेगी ही साथ ही उम्मीदवारी की आस लगाए बैठे लोगों के मार्फत पंचायत चुनावों में मजबूत दावेदारी भी पेश करेगी। जिसका फायदा 2027 विधानसभा चुनाव में भी मिलेगा।
ग्राम पंचायत जनप्रतिनिधियों की सबसे छोटी इकाई में से एक है। इन चुनावों में दावेदारों और खासकर विजेताओं के वोटरों का उनसे सीधा ताल्लुक होता है। यही स्थिति ब्लॉक क्षेत्र प्रतिनिधियों की होती है। इस लिहाज से जब विधान सभा चुनाव होते हैं तो ग्राम प्रधान और ब्लॉक प्रमुख दावेदारों के लिए वोट ट्रांसफर करवाने में अहम भूमिका रखते हैं।
यही वजह है कि कांग्रेस के इस दांव ने विरोधियों के दिल की धड़कन बढ़ा दी है। क्योंकि जिस मंशा से पार्टी ने यह नई चाल चली है वह अगर कामयाब हुई तो अगले विधानसभा चुनाव में बीजेपी की कुर्सी ख़तरे में नजर आएगी। इसके साथ ही मायवती की बीएसपी की भी उम्मीदों पर पानी फिर सकता है।