
संविधान सबसे ऊपर कथावाचक को सलामी देने पर भड़के नगीना सांसद चंद्रशेखर
Chandrashekhar Azad on UP Police Guard of Honour Controversy: उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा एक कथावाचक को ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिए जाने पर सियासी घमासान शुरू हो गया है। नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि भारत कोई मठ नहीं, बल्कि एक संवैधानिक गणराज्य है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक लंबी पोस्ट लिखते हुए उन्होंने इसे महज एक प्रशासनिक गलती नहीं, बल्कि संविधान पर खुला हमला बताया है। उनकी इस टिप्पणी ने प्रशासन और सरकार की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठा दिए हैं।
चंद्रशेखर ने अपनी पोस्ट में लिखा कि राज्य किसी धर्म विशेष की जागीर नहीं है, इसके बावजूद पुंडरीक गोस्वामी जैसे कथावाचक को पुलिस द्वारा परेड और सलामी दी जा रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सलामी और परेड राज्य की संप्रभु शक्ति का प्रतीक होती है। यह सम्मान संविधान, राष्ट्र और शहीदों के नाम पर दिया जाता है, न कि किसी बाबा या धर्मगुरु का रुतबा बढ़ाने के लिए। सांसद ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश का प्रशासन अब संविधान के प्रति जवाबदेह होने के बजाय धार्मिक सत्ता के आगे नतमस्तक हो चुकी है।
भारत कोई मठ नहीं, बल्कि एक संवैधानिक गणराज्य है। और राज्य किसी धर्म-विशेष की जागीर नहीं। इस स्पष्ट उल्लेख के बावजूद एक कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी को उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा परेड और सलामी (Guard of Honour) दी जाती है—यह सिर्फ़ एक प्रशासनिक गलती नहीं, बल्कि संविधान पर खुला हमला… pic.twitter.com/I3IiHeD73t — Chandra Shekhar Aazad (@BhimArmyChief) December 18, 2025
सांसद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार को घेरते हुए पूछा कि आखिर पुंडरीक गोस्वामी कौन सा संवैधानिक पद संभालते हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि किस कानून या प्रोटोकॉल के तहत उन्हें यह सम्मान मिला। चंद्रशेखर रावण का कहना है कि तथाकथित रामराज्य में अब हालात ऐसे हो गए हैं कि आस्था को संविधान से और धर्म को कानून से ऊपर रखा जा रहा है। यह एक खतरनाक परंपरा की ओर इशारा करता है जहां राज्य अपने संवैधानिक चरित्र को धीरे-धीरे छोड़ रहा है। उन्होंने आशंका जताई कि क्या अब यूपी में धार्मिक पहचान ही नया सरकारी प्रोटोकॉल बन गया है।
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अपनी पोस्ट में सीएम योगी को टैग करते हुए चंद्रशेखर ने संविधान का पाठ भी पढ़ाया। उन्होंने याद दिलाया कि संविधान की प्रस्तावना भारत को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित करती है, किसी एक धर्म का सेवक नहीं। उन्होंने अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 25-28 का हवाला देते हुए कहा कि धर्म के आधार पर विशेषाधिकार देना और राज्य का चरणवंदना करना पूरी तरह असंवैधानिक है। उनका स्पष्ट कहना है कि संविधान सर्वोच्च है, कोई धर्म नहीं और राज्य का अपना कोई धर्म नहीं होता। अंत में उन्होंने जय भीम, जय भारत और जय संविधान के नारे के साथ अपनी बात खत्म की।






