मां दुर्गा का सबसे पुराना मंदिर जहां असुरों का हुआ था वध
Mundeshwari Temple: चैत्र नवरात्रि हिंदुओं का सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण त्योहार है जहां देवी दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा की जाती है। भारत में बहुत ही श्रद्धापूर्वक चैत्र नवरात्रि मनाई जाती है। इस खास मौके पर अक्सर लोग मां दुर्गा के मंदिर दर्शन का प्लान बनाते हैं। अगर आप भी इस तरह का कुछ प्लान कर रहे हैं तो आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो बहुत ही खास है। माना जाता है कि यहां पर मां दुर्गा ने असुरों का वध किया था। यह भारत का सबसे पुराना दुर्गा मंदिर कहा जाता है जिसकी काफी मान्यता है। यहां पर नवरात्रि के समय अलग ही रौनक मिलती है।
मां दुर्गा के इस सबसे प्राचीन मंदिर का नाम मां मुंडेश्वरी मंदिर है। यह बिहार के कैमूर जिले के रामगढ़ गांव की पंवरा पहाड़ी पर स्थित है। बता दें कि यह मंदिर पहाड़ी है जिसकी वजह से इसकी ऊंचाई करीब 600 फीट है। इस मंदिर को लेकर कई कहानियां प्रचलित है। मां मुंडेश्वरी देवी मंदिर में भगवान गणेश, सूर्य और विष्णु देवता भी हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार इसका निर्माण करीब 108 ईं में हुई था। साल 1915 से संरक्षित स्मारक है। इस मंदिर की वास्तुकला बहुत ही खूबसूरत है। यह नागर शैली में बनाया गया सबसे प्राचीन नमूना है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार यह मंदिर उस जगह बनाया गया है जहां पर मां दुर्गा ने चण्ड मुण्ड नाम के असुरों का वध किया था। जिसकी वजह से इस मंदिर को मुंडेश्वरी देवी के नाम से जाना जाता है। यहां पर अनुष्ठान और पूजा बिना किसी रुकावट के की जाती है।
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मां मुंडेश्वरी देवी मंदिर के दर्शन करने के लिए भक्तों को कुछ विशेष नियमों का पालन करना होता है। इसमें मंदिर प्रशासन ने कहा है कि यहां पर आने वाले हर भक्त को मंदिर की दीवार पर नारियल फोड़ना और सिंदूर लगाना मना है। साथ ही मां के दर्शन करते समय सभ्य कपड़े पहनकर आने की सलाह दी जाती है। नवरात्रि के शुभ अवसर पर आप इस प्राचीन मंदिर के दर्शन करने के लिए परिवार के साथ जा सकते हैं। यह बहुत ही शांत और खूबसूरत जगह पर बना हुआ है।