कामाख्या मंदिर (सौ. फ्रीपिक)
Indian Temples: भारत की कई जगहों पर आज भी ऐसा मंदिर देखने को मिलते हैं जहां पर महिलाओं का प्रवेश वर्जित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महिलाओं को इन मंदिरों के अंदर जाने की अनुमति नहीं होती है और वहां सिर्फ पुरुष ही पूजा करते हैं। हालांकि इस भेदभाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में आवाज उठाई गई है। लेकिन भारत में कुछ जगहों पर ऐसे मंदिर में भी हैं जहां पर महिलाएं नहीं बल्कि पुरुषों को अंदर एंट्री नहीं दी जाती है। यह बात सुनकर आपको हैरानी हो रही होगी कि भारत में इस तरह के मंदिर भी मौजूद हैं।
असम के गुवाहाटी में स्थित कामाख्या मंदिर में पुरुषों को एंट्री नहीं मिलती है। इस मंदिर में भक्त इच्छाओं की पूर्ति के लिए कन्या पूजन करते हैं और पशुओं की बलि दी जाती है। साथ ही भंडारे को भी आयोजन होता है। माना जाता है कि माता के माहवारी के दिनों में यहां पर जश्न मनाया जाता है। यहां पर पुजारी भी इस दौरान महिला होती है। यहां पर आने वाले भक्तों की सारी मनोकामनाएं कामाख्या माता पूरी करती हैं।
केरल राज्य में स्थित इस मंदिर का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल है। क्योंकि इस जगह एक साथ करीब 30 लाख से भी ज्यादा महिलाओं ने पोंगल उत्सव में हिस्सा लिया था। इस मंदिर में पोंगल बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। यहां पर मुख्य रूप से भद्रकाली की पूजा की जाती है। यहां पर नारी पूजा की जाती है उस दौरान यहां पर पुरुषों का आना मना होता है।
भगवती देवी मंदिर कन्याकुमारी में स्थित है। इस जगह माता भगवती की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि भगवान शिव जैसा पति पाने के लिए इस मंदिर में महिलाएं पूजा करने आती हैं। भगवति माता को संन्यास की देवी भी माना जाता है। जिस वजह से इस मंदिर में केवल संन्यासी पुरुष ही मां के दर्शन कर सकते हैं। अन्य पुरुषों को इस मंदिर परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। यहां केवल स्त्रियां ही पूजा कर सकती हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर में अगर किसी पुरुष को प्रवेश करना है तो उसे महिलाओं की तरह सोलह श्रृंगार करना पड़ता है।
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राजस्थान के पुष्कर में स्थित ब्रह्मा देव मंदिर सिर्फ इसी जगह मौजूद है। अन्य किसी जगह आपको ब्रह्मा जी का मंदिर नहीं मिलेगा। इस मंदिर का निर्माण 14वीं शताब्दी में हुआ था। इस जगह पुरुषों का आना मना है। कहा जाता है कि मां सरस्वती के श्राप की वजह से यहां कोई भी विवाहित पुरुष नहीं जा सकता है। पुरुषों को दर्शन करने के लिए बाहर आंगन में ही रहना पड़ता है।