UPI का इस्तेमाल आज के समय में काफी जरूरी। (सौ. Freepik)
भारत में डिजिटल भुगतान प्रणाली को पूरी तरह बदल देने वाला UPI (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) आज हर वर्ग के लोगों की जरूरत बन चुका है। चाहे किराने की दुकान हो या ऑनलाइन शॉपिंग, UPI का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। पर क्या आपने कभी सोचा है कि जब आप QR कोड स्कैन करते हैं, तो पैसा आखिरकार आपके बैंक से निकलकर दूसरे के खाते में कैसे पहुंचता है?
जैसे ही आप किसी व्यापारी का QR कोड स्कैन करते हैं, आपका UPI ऐप उस QR को पढ़ता है और जरूरी जानकारी जैसे प्राप्तकर्ता का VPA (Virtual Payment Address), बैंक विवरण और राशि को पहचानता है। इसके बाद आप भुगतान राशि दर्ज करते हैं और UPI PIN डालते हैं।
PIN डालते ही यह अनुरोध आपके बैंक (जिसे PSP बैंक कहा जाता है, जैसे Paytm Payments Bank, Google Pay के लिए ICICI Bank आदि) को भेजा जाता है। यह बैंक नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) को उस अनुरोध को वेरिफाई करने और आगे बढ़ाने के लिए फॉरवर्ड करता है।
NPCI यह सुनिश्चित करता है कि ट्रांजैक्शन वैध है और फिर इसे प्राप्तकर्ता के बैंक को भेज देता है। उदाहरण के लिए, यदि आप SBI से पैसा भेज रहे हैं और प्राप्तकर्ता का बैंक HDFC है, तो NPCI यह लेन-देन दोनों बैंकों के बीच सेफ तरीके से पूरी कराता है।
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सभी वेरिफिकेशन के बाद, पैसा भेजने वाले के खाते से कटकर प्राप्तकर्ता के खाते में पहुंच जाता है और दोनों पक्षों को SMS या UPI ऐप के ज़रिए ट्रांजैक्शन की पुष्टि मिल जाती है।
UPI की यह बैकएंड प्रक्रिया कुछ ही सेकंड में पूरी हो जाती है, जिससे यूज़र्स को तेज़, सुरक्षित और भरोसेमंद डिजिटल ट्रांजैक्शन का अनुभव मिलता है। जैसा कि NPCI ने कहा है, “हमारा उद्देश्य हर भारतीय को आसान, तेज और सुरक्षित भुगतान प्रणाली देना है।”