ChatGPT में please and thankyou बोलना पड़ रहा भारी। (सौ. Design)
नवभारत टेक डेस्क: OpenAI के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने हाल ही में एक दिलचस्प लेकिन चौंकाने वाला खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि यूजर्स द्वारा AI चैटबॉट चैटजीपीटी से बातचीत करते समय “प्लीज”, “थैंक्यू” जैसे शिष्टाचारपूर्ण शब्दों का इस्तेमाल करना कंपनी के लिए बेहद महंगा सौदा साबित हो रहा है।
ऑल्टमैन ने कहा, “यूजर्स यह भूल जाते हैं कि चैटबॉट एक मशीन है, भावनाओं से रहित। लेकिन हर बार ‘थैंक्यू’ या ‘प्लीज’ जैसे शब्द टाइप करने पर कंप्यूटेशनल संसाधनों की अधिक खपत होती है।”
इन विनम्र शब्दों को प्रोसेस करने के लिए बड़े पैमाने पर कंप्यूटेशनल पावर की जरूरत होती है, जिससे बिजली की खपत में भारी इजाफा होता है। हर दिन लाखों-करोड़ों यूजर्स चैटजीपीटी से संवाद करते हैं और अधिकतर बातचीत में ये शालीन शब्द स्वाभाविक रूप से उपयोग में आते हैं।
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, चैटबॉट से भेजे गए 100 शब्दों के ईमेल के लिए 0.14 किलोवॉट बिजली की खपत होती है, जो लगभग एक घंटे तक 14 LED बल्ब जलाने के बराबर है।
टेक रडार की लेखिका बेका कैडी ने एक प्रयोग किया जिसमें उन्होंने “प्लीज” और “थैंक्यू” कहना बंद कर दिया। उन्हें अनुभव हुआ कि विनम्रता से पूछे गए प्रश्नों के उत्तर अधिक सटीक और संतुलित होते हैं।
इस पर ऑल्टमैन ने यह भी जोड़ा – “AI के लिए इन शब्दों को समझना और उन्हें पहचानना ज़रूरी है। इससे यूजर्स का भरोसा भी मजबूत होता है।”
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चैटजीपीटी (ChatGPT) यानी चैट जेनरेटिव प्रीट्रेंड ट्रांसफॉर्मर को 30 नवंबर 2022 को ओपनएआई ने लॉन्च किया था। यह एक एआई आधारित चैटबॉट है जो किसी भी प्रश्न का सरल और समझने योग्य उत्तर देने में सक्षम है।