Meta ने किए अकांउट डिलीड। (सौ. Freepik)
साल 2025 के पहले छह महीनों में Meta ने फेसबुक से करीब 1 करोड़ फेक अकाउंट्स को हटाने की बड़ी कार्रवाई की है। कंपनी ने यह कदम स्पैमी और नकली कंटेंट के खिलाफ उठाया है, ताकि यूजर्स को अधिक प्रामाणिक और उपयोगी सामग्री मिल सके। Meta का कहना है कि वह फेसबुक फीड को और अधिक रियल बनाना चाहता है, ताकि बॉट्स या AI से बने फर्जी वीडियो व पोस्ट्स की जगह असली क्रिएटिविटी को बढ़ावा मिल सके।
Meta के अनुसार, ये फेक अकाउंट्स सोशल मीडिया पर लोकप्रिय क्रिएटर्स की इंपर्सोनेशन (नकल) कर रहे थे। इनका उद्देश्य एल्गोरिदम का फायदा उठाकर ज्यादा व्यूज और फॉलोअर्स जुटाना था। इसके अलावा करीब 5 लाख अकाउंट्स को इनऑथेंटिक बिहेवियर यानी गैर-ईमानदार गतिविधियों के कारण दंडित किया गया। इनमें कमेंट सेक्शन में स्पैम फैलाना, बॉट्स की तरह लाइक-शेयर करना और पुराने कंटेंट को बार-बार दोहराना शामिल था।
Meta ने एक ब्लॉग पोस्ट के ज़रिए जानकारी दी कि अब कंपनी असली और खुद से बनाए गए कंटेंट को प्राथमिकता देगी। इसके लिए एक नई टेक्नोलॉजी विकसित की गई है जो किसी भी डुप्लीकेट (कॉपी किए गए) कंटेंट की पहचान कर सकती है। यदि कोई क्रिएटर दूसरे का कंटेंट क्रेडिट दिए बिना पोस्ट करता है, तो उसकी रीच घटा दी जाएगी। यह कदम खास तौर पर उन AI कंटेंट फार्म्स को निशाना बनाता है जो केवल व्यूज बटोरने के लिए दूसरों की सामग्री को दोबारा अपलोड करते हैं।
Meta के CEO Mark Zuckerberg ने हाल ही में कहा कि कंपनी अब AI इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़ी निवेश योजना पर काम कर रही है। उन्होंने कहा, “हम सैकड़ों अरब डॉलर खर्च कर एक सुपर AI सिस्टम बना रहे हैं।” 2026 तक Meta का पहला AI सुपरक्लस्टर भी लॉन्च किया जाएगा। जैसे-जैसे AI टूल्स अधिक किफायती और शक्तिशाली हो रहे हैं, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए असली और नकली क्रिएटिविटी में फर्क करना चुनौती बनता जा रहा है।
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Meta अकेली कंपनी नहीं है जो इस दिशा में सक्रिय है। YouTube ने भी हाल ही में अपनी मॉनेटाइजेशन पॉलिसी में बदलाव किया है। अब वहां बार-बार दोहराया गया या कम क्वालिटी का AI कंटेंट कमाई नहीं कर पाएगा। हालांकि, अगर कंटेंट ओरिजिनल और वैल्यू देने वाला है, तो वह AI से बना हो तब भी मान्य होगा।