फोटो सोर्स ( सोशल मीडिया )
चेन्नई: भारत अपने महत्वाकांक्षी समुद्रयान मिशन के तहत दिसंबर 2024 के आखिरी सप्ताह में सबमर्सिबल मत्स्य-6000 का पहला हार्बर वेट टेस्ट करने जा रहा है। यह महत्वपूर्ण परीक्षण चेन्नई बंदरगाह पर होगा, जहां पनडुब्बी मत्स्य-6000 का परीक्षण 15 मीटर की गहराई पर किया जाएगा।
इस परीक्षण का उद्देश्य गहरे समुद्र में 6,000 मीटर की गहराई तक जाने वाले डीप-सबमर्जेंस वाहन के प्रदर्शन का मूल्यांकन करना है। भारत के डीप ओशन मिशन से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि परीक्षण का समय मौसम की अनुकूलता पर निर्भर करेगा।
मत्स्य-6000 उन्नत जीवन रक्षक प्रणाली, नेविगेशन उपकरण, और नमूना संग्रह के लिए रोबोटिक भुजाओं जैसी तकनीकों से लैस है। इसके माध्यम से समुद्री संसाधनों की खोज और दुर्लभ खनिजों पर वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए एक नया मार्ग प्रशस्त होगा। इस परियोजना के तहत 2025 में उथले पानी का परीक्षण और 2026 में मानव रहित गहरे समुद्र में परीक्षण किए जाने की योजना है।
भारत सरकार ने 2021 में इस मिशन को ₹4,077 करोड़ के बजट के साथ मंजूरी दी थी। इस मिशन में तीन सदस्यीय चालक दल होगा, जिसका नेतृत्व नौसेना के एक सेवानिवृत्त पनडुब्बी चालक करेंगे। चालक दल का चयन अभी चल रहा है, और चुने हुए सदस्यों को नौसेना चिकित्सा संस्थान में कठोर प्रशिक्षण दिया जाएगा।
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विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस मिशन को न केवल वैज्ञानिक प्रगति के लिए बल्कि पानी के भीतर इंजीनियरिंग और महासागर साक्षरता में नवाचारों के लिए भी मिशन के संभावित लाभों पर प्रकाश डाला है। उन्होंने कहा कि मानवयुक्त पनडुब्बी गहरे समुद्र के वातावरण का प्रत्यक्ष मानव अवलोकन में मदद करेगी, जिससे निकल और कोबाल्ट जैसे मूल्यवान संसाधनों की खोज करने में सहायता मिलेगी।
बता दें कि भारत छठवां देश है जिसने मानव सबमर्सिबल बनाई है। इसके पहले अमेरिका, रूस, जापान, फ्रांस और चीन ने मानवयुक्त सबमर्सिबल बना चुके हैं। फिलहाल गीले परीक्षण की तैयारियां जारी हैं, यह परीक्षण भारत की गहरे समुद्र में अन्वेषण क्षमता को मजबूत करने और समुद्री संसाधनों के सतत उपयोग की दिशा में देश के व्यापक लक्ष्यों को पूरा करने का एक महत्वपूर्ण कदम है।