Digital India में महिलाओं का योगदान। (सौ. Freepik)
भारत तेजी से डिजिटल युग की ओर बढ़ रहा है, लेकिन महिलाओं की डिजिटल पहुंच अब भी सीमित है। जनवरी से मार्च 2025 के बीच हुए ‘कॉम्प्रिहेंसिव मॉड्यूलर सर्वेः टेलीकॉम’ में सामने आया कि देश की 32% महिलाएं अब भी खुद का मोबाइल फोन नहीं रखतीं, बल्कि दूसरों के मोबाइल पर निर्भर हैं। यह आंकड़ा न सिर्फ तकनीकी विकास की असमानता को उजागर करता है, बल्कि महिलाओं की निजता और डिजिटल आज़ादी पर भी सवाल खड़े करता है।
सर्वे के अनुसार, देश में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं में मोबाइल उपयोग का प्रतिशत 79.8% है, लेकिन इनमें से बड़ी संख्या में महिलाएं खुद का मोबाइल फोन नहीं रखतीं। वहीं ग्रामीण पुरुषों में यह आंकड़ा कहीं अधिक है। 15-29 वर्ष के युवा ग्रामीण पुरुषों में 81.2% मोबाइल मालिक हैं, जबकि इसी उम्र की महिलाओं में यह आंकड़ा महज 56.9% है।
ऑनलाइन लेनदेन की बात करें तो पुरुषों में 75.9% लोग डिजिटल भुगतान करते हैं, जबकि महिलाएं 50.4% पर ही ठहरती हैं। कोविड-19 महामारी और यूपीआई की बढ़ती पहुंच ने ग्रामीण महिलाओं को ऑनलाइन ट्रांजैक्शन की दिशा में बढ़ाया है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी सिर्फ 30% महिलाएं ही डिजिटल भुगतान कर पाती हैं। शहरी महिलाओं में यह संख्या 51% और ग्रामीण पुरुषों में 54% है।
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कुछ राज्यों में यह अंतर और भी स्पष्ट है।
वहीं सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, केरल और गोवा जैसे राज्यों में खुद के मोबाइल फोन रखने वाली महिलाओं का प्रतिशत अपेक्षाकृत बेहतर है।
डिजिटल इंडिया की बात करते समय यह सवाल उठना लाज़िमी है कि जब देश की एक बड़ी महिला आबादी आज भी अपने मोबाइल तक की मालिक नहीं है, तो डिजिटल समानता कैसे संभव होगी?