Indian Army drones जो बनेगा भारत का भविष्य। (सौ. AI)
नवभारत टेक डेस्क: भारत ने एक बार फिर आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित नौ आतंकी ठिकानों पर जोरदार एयर स्ट्राइक की है। इस सैन्य कार्रवाई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया है, जिसमें भारतीय थल सेना, वायुसेना और नौसेना ने मिलकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस मिशन में विशेष रूप से LMS ड्रोन का प्रयोग किया गया, जिसे ‘सुसाइड ड्रोन’ भी कहा जाता है।
ड्रोन, जिसे UAV (Unmanned Aerial Vehicle) भी कहा जाता है, एक ऐसा विमान है जो बिना पायलट, क्रू या यात्रियों के उड़ता है। ये ड्रोन ज़मीन से संचालित कंट्रोल सिस्टम और संचार प्रणाली से जुड़े होते हैं, जिससे इनकी उड़ान को दूर से नियंत्रित किया जा सकता है। कुछ ड्रोन पूरी तरह से स्वचालित भी होते हैं, जो किसी मानव की भागीदारी के बिना अपने लक्ष्य तक पहुंचते हैं। ऐसे में यह जानना काफी दिलचस्प है कि भारतीय सेना के पास किस तरह की ड्रोन पावर है जिससे देश और मजबूत बनता है।
ड्रोन का उपयोग दुश्मन को भ्रमित करने और असली हमले के लिए रास्ता साफ करने के लिए किया जाता है। पहले यह कार्य जोखिम भरा होता था, लेकिन अब रिमोट कंट्रोल सिस्टम से इसे सुरक्षित तरीके से अंजाम दिया जा सकता है।
UACV (Unmanned Armed Combat Vehicle) की क्षमता, पेलोड और सटीकता के आधार पर युद्ध में प्रभाव तय होता है। यह सुनिश्चित करता है कि ड्रोन सही लक्ष्य को निशाना बनाए।
ड्रोन का उपयोग दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने, सैनिकों से संपर्क बनाने और महत्वपूर्ण जानकारी साझा करने के लिए होता है। हाई-रिज़ॉल्यूशन कैमरों से लैस ये ड्रोन दुश्मन की पोजिशन और मूवमेंट को ट्रैक करते हैं।
ड्रोन कम लागत वाले, आसानी से उपलब्ध और बेहद प्रभावी होते हैं। अमेरिका जैसे देश अपने प्रीडेटर और रीपर UCAVs की बिक्री केवल विश्वसनीय सहयोगियों को ही करते हैं। वहीं चीन, इज़रायल और तुर्की जैसे देश अपने खुद के सस्ते UCAV बना रहे हैं और भारत भी अब इस क्षेत्र में मजबूती से उभर रहा है।
इनकी धीमी गति, कम आकार और न्यूनतम रडार क्रॉस सेक्शन (RCS) इन्हें छिपकर हमला करने योग्य बनाते हैं। पारंपरिक रडार छोटे ड्रोन को नहीं पहचान पाते, जिससे ये चुपचाप अपने लक्ष्य को भेद सकते हैं।
यह एक हाई-स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट (HEAT) है, जिसे DRDO के ADE द्वारा विकसित किया गया है। यह भारतीय सशस्त्र बलों के लिए रडार परीक्षण और लाइव फायर अभ्यास में उपयोग होता है।
DRDO अभ्यास (Abhyas) Wikipedia
घातक एक स्टील्थ यूसीएवी (Unmanned Combat Aerial Vehicle) है, जिसे ADE और ADA द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया जा रहा है। यह पूरी तरह से स्वचालित लड़ाकू ड्रोन है, जो गुप्त मिशनों और सर्जिकल स्ट्राइक में उपयोगी होगा।
DRDO घातक (Ghatak)
रुस्तम एक मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (MALE) UAV है, जो भारतीय थल, जल और वायुसेना के लिए बनाया गया है। यह निगरानी, खुफिया जानकारी जुटाने और दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने में सक्षम है।
DRDO रुस्तम (Rustom) X
यह एक लॉन्ग एंड्योरेंस UAV है, जो हाई-एल्टीट्यूड सर्विलांस के लिए ADE द्वारा विकसित किया गया है। यह MQ-1 प्रीडेटर के समान है और दुश्मन की सीमा में गहराई तक निगरानी कर सकता है।
TAPAS-BH-201 (पूर्व नाम Rustom-II) (सौ. X)
HAL के Combat Air Teaming System (CATS) का हिस्सा है CATS Warrior, जो स्वदेशी AI-समर्थित लड़ाकू ड्रोन है।
यह मानव रहित और मानव-सहायक हवाई युद्धों के लिए भविष्य का गेम-चेंजर माना जा रहा है।
HAL CATS Warrior (सौ. Wikipedia)
नेत्र एक हल्का, ऑटोनोमस UAV है, जिसे DRDO और IdeaForge ने मिलकर निगरानी और टोही के लिए विकसित किया है। यह मुख्य रूप से पुलिस और सुरक्षाबलों द्वारा शहरी क्षेत्रों में निगरानी के लिए उपयोग किया जाता है।
DRDO नेत्र (Netra) (सौ. X)
निशांत एक ऑटोमैटिक UAV है, जिसे दुश्मन क्षेत्र में खुफिया जानकारी जुटाने, निगरानी और आर्टिलरी फायर करेक्शन के लिए डिजाइन किया गया है। यह 4.5 घंटे तक उड़ान भर सकता है और सीमावर्ती क्षेत्रों में बेहद कारगर साबित होता है।
लक्ष्य एक हाई-स्पीड टारगेट ड्रोन है, जो लाइव फायर ट्रेनिंग और टारगेट एक्विजिशन के लिए बनाया गया है। यह जमीन या जहाज से लॉन्च होता है और पैराशूट से सुरक्षित लैंडिंग करता है।
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उल्का एक एयर लॉन्च्ड डिस्पोजेबल टारगेट ड्रोन है, जिसे DRDO के ADE द्वारा विकसित किया गया है। यह सुपरसोनिक विमानों से छोड़ा जा सकता है और दुश्मन के रडार को भ्रमित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
DRDO लक्ष्य (Lakshya) (सौ. Wikipedia)
पुष्पक एक माइक्रो एयर व्हीकल (MAV) है, जिसे ADE और NAL द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है। यह हल्का, हैंड-लॉन्चेबल ड्रोन है जो राष्ट्रीय माइक्रो एयर व्हीकल प्रोग्राम (NP-MICAV) का हिस्सा है।
स्लाइबर्ड एक छोटा, हैंड-लॉन्च UAV है, जिसे NAL ने विकसित किया है और यह सॉफ्ट लैंडिंग में सक्षम है। यह 10 किलोमीटर की रेंज और एक घंटे की उड़ान क्षमता के साथ पुलिस और सैन्य उपयोग के लिए उपयुक्त है।
इनमें से कई ड्रोन निगरानी, हमला, लक्ष्य निर्धारण और गुप्त मिशनों में सक्षम हैं। DRDO और निजी कंपनियों की साझेदारी से भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनता जा रहा है।
ड्रोन तकनीक भविष्य के युद्धों का प्रमुख आधार बनने जा रही है। पाकिस्तान और चीन की हरकतों को देखते हुए भारत को अब तेज़, कुशल और सस्ते हथियारों की ज़रूरत है, जिसमें ड्रोन अहम भूमिका निभा सकते हैं। भारतीय रक्षा संगठन इस दिशा में तेज़ी से कार्य कर रहे हैं और आने वाले समय में भारत इस क्षेत्र में विश्व शक्ति बन सकता है।