क्यों हुआ Google पर केस। (सौ. Pixabay)
Google Privacy Case: Google एक बार फिर से विवादों में आ गई है। अमेरिका की एक अदालत ने कंपनी को प्राइवेसी नियमों के उल्लंघन का दोषी पाते हुए 425 मिलियन डॉलर (करीब 3,540 करोड़ रुपये) का भारी-भरकम जुर्माना लगाया है। आरोप है कि Google ने यूजर्स की अनुमति के बिना ही उनका डेटा ट्रैक किया और ऑनलाइन गतिविधियों को रिकॉर्ड किया।
इस मामले में अदालत ने पाया कि यूजर्स द्वारा ट्रैकिंग ऑफ करने के बावजूद गूगल उनकी ऑनलाइन एक्टिविटीज को रिकॉर्ड करता रहा। यह केस 2020 में क्लास-एक्शन मुकदमे के तौर पर दर्ज हुआ था। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि गूगल ने अपने Web & App Activity सेटिंग्स में दिए गए प्राइवेसी नियमों का पालन नहीं किया।
इस केस में करीब 9.8 करोड़ यूजर्स और 17.4 करोड़ डिवाइस प्रभावित हुए। शुरुआती दौर में याचिकाकर्ताओं ने गूगल से 31 अरब डॉलर से ज्यादा का हर्जाना मांगा था।
अमेरिकी फेडरल कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि गूगल ने 3 में से 2 प्राइवेसी नियमों का उल्लंघन किया है। हालांकि कोर्ट ने यह भी माना कि कंपनी ने जानबूझकर ऐसा नहीं किया, लेकिन उसकी प्रैक्टिसेस यूजर्स से किए गए वादों के खिलाफ थीं।
गूगल की यह ट्रैकिंग केवल उसके प्लेटफॉर्म तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि Uber, Lyft, Amazon, Alibaba, Instagram और Facebook जैसी बड़ी कंपनियों की ऐप्स तक फैली हुई थी। यहां तक कि Google Analytics का इस्तेमाल करने वाले बिजनेस यूजर्स का डेटा भी ट्रैक किया जा रहा था। गूगल का दावा है कि यह डेटा व्यक्तिगत पहचान से जुड़ा नहीं था, लेकिन यूजर्स का कहना है कि उन्हें गुमराह किया गया।
यह मामला गूगल के लिए अकेला सिरदर्द नहीं है। कंपनी पहले से ही Chrome ब्राउजर और Ad-Tech Monopoly से जुड़े एंटीट्रस्ट केस का सामना कर रही थी। हालांकि हाल ही में आए फैसले में गूगल को आंशिक राहत मिली है। कोर्ट ने कहा कि कंपनी अपना Chrome ब्राउजर रख सकती है, लेकिन उसे अपने सर्च डेटा को प्रतिस्पर्धियों के साथ साझा करना होगा।
इससे साफ है कि आने वाले समय में गूगल पर कानूनी दबाव और भी बढ़ सकता है, और कंपनी को यूजर्स की प्राइवेसी को लेकर अधिक पारदर्शिता दिखानी होगी।
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गूगल पर लगे इस भारी जुर्माने ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर टेक कंपनियां यूजर्स के डेटा और प्राइवेसी को किस हद तक गंभीरता से लेती हैं। यह मामला अन्य कंपनियों के लिए भी कड़ा संदेश है कि प्राइवेसी उल्लंघन की कीमत बहुत महंगी पड़ सकती है।