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हॉकी का वो जादूगर जिसने भारत को दिलाए तीन गोल्ड, जिसके कारण हिटलर को भी छोड़ना पड़ा था मैदान

Major Dhyan Chand Birth Anniversary: मेजर ध्यानचंद का आज 29 अगस्त 2025 को 120वीं जयंती है। उन्होंने लगातार तीन ओलंपिक में भारत को गोल्ड मेडल दिलाए हैं। जानें उनकी पूरी कहानी।

  • By उज्जवल सिन्हा
Updated On: Aug 29, 2025 | 01:02 PM
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National Sports Day 2025: हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद ने अपने खेल से पूरे देश को गौरवान्वित कर दिया था। मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को प्रयागराज में हुआ था। आज 29 अगस्त 2025 को 120 वीं जयंती मनाई जा रही है। आज से ही बिहार में एशिया कप 2025 की शुरुआत होगी। इस टूर्नामेंट में कुल 8 टीमें भाग ले रही है। हॉकी एशिया कप 29 अगस्त से 7 सितंबर तक खेला जाएगा।

मेजर ध्यानचंद का नाम ध्यान सिंह था। उनके पिता ब्रिटिश सेना में थे। वह हॉकी के शौकीन थे। पिता के पद चिन्हों पर चलते हुए ध्यान सिंह ने मात्र 16 साल की उम्र में ही सिपाही सेना में शामिल हो गए। उन्होंने सेना में सेवा देते हुए हॉकी खेलना शुरू किया था। उनका खेल अद्भूत था। आज भी जब उनके बारे में या उनके खेल के बारे में जिक्र होती है तो पूरा देश गौरवान्वित हो जाता है।

ध्यान सिंह से कैसे बने ध्यानचंद?

ध्यान सिंह के दोस्त उन्हें ‘चंद’ कहकर पुकारते थे। ऐसा इसलिए क्योंकि ध्यान सिंह ड्यूटी के बाद अक्सर चांदनी रात में घंटों हॉकी की प्रैक्टिस किया करते थे। ऐसे में उनका नाम ‘ध्यानचंद’ पड़ गया। सेना में रहते हुए ध्यानचंद ने रेजिमेंटल मैच खेलने शुरू कर दिए थे। साल 1922 से 1926 के बीच अपने शानदार खेल के चलते ध्यानचंद सुर्खियों में आ गए।

सेना की टीम में किया गया शामिल

मेजर ध्यानचंद की प्रतिभा को देखते हुए उन्हें सेना की टीम में न्यूजीलैंड दौरे के लिए चुन लिया गया। इस दौरे पर मेजर ध्यानचंद ने शानदार प्रदर्शन किया और सेना की टीम ने 18 मैच जीते। सिर्फ एक ही मुकाबले में उसे हार मिली। इसके बाद तो उनका खेल और बेहतर होते चला गया। मेजर ध्यानचंद ने भारत को तीन ओलंपिक स्वर्ण दिलाए। उनकी गिनती दुनिया के महानतम खिलाड़ियों में होती है।

ध्यानचंद ने ट्रायल में किया कमाल

जब नवगठित भारतीय हॉकी महासंघ (आईएचएफ) ने 1928 ओलंपिक के लिए एक टीम भेजने का फैसला किया, तो ध्यानचंद को ट्रायल के लिए बुलाया गया। ध्यानचंद ने न सिर्फ टीम में जगह बनाई, बल्कि पांच मुकाबलों में 14 गोल दागते हुए शीर्ष स्कोरर भी रहे। भारतीय हॉकी टीम पूरे टूर्नामेंट में अजेय रही और गोल्ड जीता।

साल 1928, 1932 और 1936 के ओलंपिक खेलों में भारत को हॉकी में गोल्ड मेडल जिताने में मेजर ध्यानचंद का अहम योगदान रहा। ‘हॉकी के जादूगर’ ने तीन ओलंपिक के 12 मुकाबलों में 37 गोल दागे।

बीच मुकाबले में ही हिटलर ने छोड़ दिया था स्टेडियम

1936 ओलंपिक में ध्यानचंद के शानदार प्रदर्शन की बदौलत भारत ने जर्मनी को 8-1 से शिकस्त दी। जर्मनी की करारी हार से हिटलर काफी गुस्से में था। वह मुकाबले के बीच में ही स्टेडियम से बाहर चला गया। इस मुकाबले की समाप्ति के बाद हिटलर ने ध्यानचंद से मुलाकात की और उन्हें अपनी सेना में बड़ा पद ऑफर किया, लेकिन ध्यानचंद ने विनम्रता के साथ इसे ठुकरा दिया।

जब मेजर ध्यानचंद हॉकी खेलते, तो मानो गेंद उनकी हॉकी स्टिक से चिपक ही जाती। हॉलैंड के खिलाफ एक मैच के दौरान उनकी हॉकी स्टिक को तोड़कर चेक तक किया गया, लेकिन जांच में उन्हें निर्दोष पाया गया।

यह भी पढ़ें: BWF World Championships के क्वार्टर फाइनल में पहुंची पीवी सिंधू, वर्ल्ड नंबर-2 वांग झी को दी मात

जब दूसरा वर्ल्ड वॉर समाप्त हुआ, उस वक्त तक ध्यानचंद 40 साल से ज्यादा के हो चुके थे। साल 1948 में जब स्वतंत्र भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक खेलों में हिस्सा लिया, उस समय मेजर ध्यानचंद ने टीम का हिस्सा बनने से मना कर दिया। उनका मानना था कि अब युवा खिलाड़ियों को मौका देने का समय आ गया है।

उनके जन्मदिन पर नेशनल स्पोर्ट्स डे मनाया जाता है

ध्यानचंद ने भारतीय सेना में करीब 34 साल अपनी सेवा दी। वह 1956 में बतौर लेफ्टिनेंट रिटायर हुए। करीब 22 वर्षों तक मेजर ध्यानचंद ने भारत के लिए हॉकी खेलते हुए 400 से ज्यादा गोल दागे। ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित इस दिग्गज हॉकी खिलाड़ी के नाम पर आज खिलाड़ियों को ‘मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड’ दिए जाते हैं। 3 दिसंबर 1979 को मेजर ध्यानचंद ने कैंसर से जंग लड़ते हुए दुनिया को अलविदा कह दिया। भारत में 29 अगस्त को उनके जन्मदिवस को ‘राष्ट्रीय खेल दिवस’ (नेशनल स्पोर्ट्स डे) के रूप में मनाया जाता है। (आईएएनएस)

Major dhyan chand birth anniversary on 29 august know about him

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Published On: Aug 29, 2025 | 12:18 AM

Topics:  

  • Birth Anniversary
  • National Sports Day
  • Sports
  • Sports News

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