स्पेन के खिलाफ जीत दर्ज करने के बाद भारतीय हॉकी टीम (सोर्स-सोशल मीडिया)
पेरिस: पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत के खाते में एक और पदक जुड़ गया है। भारतीय हॉकी टीम ने स्पेन को 2-1 से हराकर शानदार जीत हासिल की और ब्रॉन्ज मेडल जीता। भारत के लिए दोनों गोल कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने किए। ऐसे में मेडल जीतने के साथ ही टीम इंडिया के दिग्गज गोलकीपर पी.श्रीजेश के लिए यह मुकाबला काफी खास हो गया, क्योंकि उनका यह मैच उनके करियर का आखिरी मुकाबला था।
टोक्यो की कहानी को पेरिस ओलंपिक में दोहराते हुए भारतीय हॉकी टीम ने कप्तान हरमनप्रीत सिंह के दो गोल की मदद से स्पेन को 2-1 से हराकर देश के लिये और अपने सुनहरे कैरियर पर विराम लगाने वाले पी आर श्रीजेश के लिये कांस्य पदक जीता। श्रीजेश को अगर द ग्रेट वाल ऑफ इंडिया की संज्ञा दी जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।
जीत के बाद श्रीजेश को कंधे पर बिठाकर मैदान का चक्कर लगाने वाले कप्तान हरमनप्रीत सिंह के साथ टीवी के सामने नजरें गड़ाये बैठे करोड़ों भारतीयों की भी आंखें नम हो गई। ओलंपिक पदक के साथ विदा लेने वाले श्रीजेश जीत के बाद गोलपोस्ट के ऊपर जाकर बैठे तो अपने जज्बात पर काबू नहीं रख सके। भारतीय हॉकी टीम प्लेयर्स के साथ सभी दर्शकों की आंखें भी नम हो गईं।
जर्मनी के हाथों सेमीफाइनल में मिली हार का गम भुलाकर डेढ दिन बाद भारतीय टीम फिर युवेस डु मनोइर स्टेडियम पर उतरी तो हर खिलाड़ी का एक ही लक्ष्य था कि खाली हाथ नहीं लौटना है। एक गोल से पिछड़ने के बाद वापसी करते हुए भारत ने दूसरे और तीसरे क्वार्टर में गोल करके न सिर्फ जीत दर्ज की बल्कि पेरिस ओलंपिक में कल पहलवान विनेश फोगाट को फाइनल से पहले अयोग्य करार दिये जाने से देश भर में छाई मायूसी को दूर करने का प्रयास भी किया।
यह भी पढ़ें:- हॉकी गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने आखिरी मैच के पहले लिखा इमोशनल संदेश
इस जीत के साथ ही भारत के लिये 336 मैच खेलने वाले महान गोलकीपर श्रीजेश ने भी अंतरराष्ट्रीय हॉकी को अलविदा कह दिया। भारतीय टीम के लिये हरमनप्रीत सिंह ने (30वें, 33वें मिनट) जबकि स्पेन के लिये मार्क मिरालेस (18वां मिनट) ने गोल दागे। आठ बार की चैम्पियन भारतीय पुरूष हॉकी टीम का यह 13वां ओलंपिक पदक है और पचास साल बाद लगातार दो ओलंपिक में पदक जीते हैं। इससे पहले 1968 में मैक्सिको और 1972 में म्युनिख ओलंपिक में भारत ने कांस्य जीता था।
सेमीफाइनल में नीदरलैंड से चार गोल से एकतरफा पराजय का सामना करने वाली स्पेनिश टीम ने आक्रामक शुरूआत की और पहले क्वार्टर में भारत को एक भी पेनल्टी कॉर्नर नहीं बनाने दिया। भारत के पास छठे मिनट में खाता खोलने का मौका था जब हार्दिक सिंह ने सर्कल पर से डी के भीतर सुखजीत सिंह को पास दिया लेकिन वह सही निशाना नहीं साध सके। स्पेन के लिये 10वें मिनट में मोस मारिया बास्टेरा के शॉट का हरमनप्रीत ने बचाव किया। पहले क्वार्टर तक कोई टीम गोल नहीं कर सकी। दूसरे क्वार्टर में स्पेन को 18वें मिनट में पेनल्टी स्ट्रोक मिला जिस पर मिरालेस ने आसानी से गोल कर दिया।
स्पेन को दो मिनट बाद पेनल्टी कॉर्नर भी मिला लेकिन रोहिदास ने जबर्दस्त बचाव किया। रोहिदास ने खास तौर पर डिफेंस में बेहतरीन प्रदर्शन किया जिनकी कमी जर्मनी के खिलाफ सेमीफाइनल में उनके प्रतिबंधित होने के कारण खली थी। स्पेन की टीम 25वें मिनट में एक और गोल करने के करीब पहुंची जब गेरार्ड क्लापेस ने सुमित से गेंद छीनी और श्रीजेश के ठीक सामने उन्हें चकमा देकर गोल के भीतर डालने की कोशिश की और भारतीय टीम भाग्यशाली रही कि उनका निशाना ठीक नहीं लगा।
यह भी पढ़ें:- विनेश फोगाट लेंगी संन्यास वापस! चचेरी बहन बबीता फोगाट ने फैसले पर विचार करने को कहा
स्पेन को दो मिनट बाद मिला पेनल्टी कॉर्नर भी बचा लिया गया। भारत को मैच का पहला पेनल्टी कॉर्नर 28वें मिनट में मिला लेकिन रोहिदास गोल नहीं कर सके। हाफटाइम से कुछ सेकंड पहले मिले पेनल्टी कॉर्नर पर गोल करके हरमनप्रीत ने भारत को बराबरी दिलाई। ब्रेक के बाद भारतीय टीम आक्रामक तेवरों के साथ उतरी और तीसरे ही मिनट में मिले पेनल्टी कॉर्नर को तब्दील करके हरमनप्रीत ने 2-1 से बढत दिला दी । हरमनप्रीत का यह टूर्नामेंट में 11वां गोल था।
दो मिनट बाद जवाबी हमले में स्पेन को मिले पीसी पर मिरालेस गोल नहीं कर सके। वहीं भारत को 37वें और स्पेन को 40वें मिनट में मिला पेनल्टी कॉर्नर बेकार गया। आखिरी पंद्रह मिनट में सुखजीत ने फिर एक मौका गंवाया जबकि स्पेन को 59वें मिनट में दो और फिर आखिरी मिनट में मिले दो और पेनल्टी कॉर्नर बेकार गए। जिसके साथ ही भारत ने लगातार दूसरे ओलंपिक में मेडल अपने नाम कर लिया। इससे पहले 1968 और 1972 में लगातार दो बार टीम ने मेडल जीता था।
-एजेंसी इनपुट के साथ