टीम इंडिया (सौजन्यः BCCI- एक्स)
चेन्नई: बांग्लादेश के खिलाफ चेपॉक में खेले जा रहे पहले टेस्ट मैच में भारत ने पहली पारी में 376 रनों का स्कोर किया। इसके बाद इंडियन पेसर्स की घातक गेंदबाजी के सामने बांग्लादेशी बल्लेबाजों ने घुटने टेक दिए। बांग्लादेश की पूरी टीम पहली पारी में महज 149 रन बनाकर ऑल आउट हो गई। भारत के पास बांग्लादेश को दोबारा बैटिंग का न्योता देकर ऑलआउट कर पारी से जीत दर्ज करने का सुनहरा मौका था लेकिन भारत ने ऐसा क्यों नहीं किया? यह सवाल हर एक भारतीय क्रिकेट फैन के जेहन में घूम रहा है। जिसका जवाब आपको हम इस आर्टिकल में देने वाले हैं।
बांग्लादेश के खिलाफ चेन्नई में खेले जा रहे पहले टेस्ट मैच में अश्विन के शानदार शतक के साथ रवीन्द्र जाडेजा और यशस्वी जायसवाल के अर्धशतकों की बदौलत भारतीय टीम ने पहली पारी में 376 रनों का स्कोर किया। इसके बाद बुमराह ने घातक गेंदबाजी करते हुए चार विकेट चटकाकर बांग्लादेशी बैटिंग लाइन-अप की कमर तोड़ दी। वहीं, आकाशदीप, सिराज और रवीन्द्र जाडेजा ने भी दो-दो विकेट झटक कर बांग्लादेशी बल्लेबाजी के ताबूत में आखिरी कील ठोंक दी।
बांग्लादेश की पहली पारी महज 149 रन के स्कोर पर सिमट गई। कुल स्कोर के दो तिहाई रन न बना पाने के चलते भारत बांग्लादेश को फॉलोऑन देकर दोबारा बैटिंग के लिए इनवाइट कर सकता था। भारत के पास कुल 227 रनों की बढ़त थी। ऐसे में जब भारत पहली पारी में बांग्लादेश को 149 पर समेट चुका था तो उसके लिए 227 के अंदर ऑल आउट करना बड़ी बात नहीं होती लेकिन भारत ने बांग्लादेश के बैटिंग के लिए बुलाने की बजाय खुद दूसरी पारी की शुरुआत कर दी।
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टेस्ट क्रिकेट में तीसरे दिन विकेट सबसे बेहतर खेलता है। पहले दिन पिच की नमी तेज गेंदबाजों को फायदा पहुंचाती है। इसका असर दूसरे दिन तक भी देखने को मिलता है। लेकिन तीसरे दिन से विकेट सूखने लगता है। तब वह बल्लेबाजी के लिए आसान माना जाता है। ऐसे में भारत अगर बांग्लादेश को बल्लेबाजी के लिए बुलाता तो उसे आसानी होती। वह भारत की लीड उतारकर लीड ले भी सकता था। इस लिहाज से पारी की हार की संभावनाएं खत्म हो जाती।
बांग्लादेश पर भारत बिना किसी रिस्क के जीत दर्ज करना चाहता है। आमतौर पर देखने को मिलता है कि चौथे दिन से विकेट टूटने लगता है। उस पर रफ पैचेस आ जाते हैं। मिट्टी ड्राई हो जाती है। जिसके चलते स्पिनर्स को अच्छी खासी मदद मिलने लगती है। साथ ही तेज गेंदबाजों की गेंद भी रुककर बल्ले पर आती है जिससे बैटिंग में कठिनाई होती है। ऐसे में अगर बांग्लादेश तीसरे दिन के आसान विकेट और आधा चौथा दिन निकाल जाता तो यह भारत के लिए रिस्की हो सकता था।
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क्रिकेट को अनिश्चितताओं का खेल कहा जाता है। यदि बांग्लादेश तीसरे दिन के आसान विकेट पर खेलकर 227 रनों की लीड उतारकर भारत को 150 से ऊपर का टारगेट देने में कामयाब हो जाता तो भारत को चौथी पारी में बैटिंग करनी पड़ती। जो कि बिल्कुल आसान नहीं होती है। पहली पारी के लिहाज से देखा जाए और अश्विन-जाडेजा के अप्रत्याशित प्रदर्शन को निकाल दें स्कोर क्या होता यह आप समझ सकते हैं। वहीं, चौथे दिन के दूसरे हाफ में बांग्लादेश की तेज गेंदबाजी को शाकिब और मेंहदी हसन मिराज जैसे फिरकी गेंदबाजों का साथ मिल जाता जो कि जोखिम भरा हो सकता था।