
खालिदा जिया (फोटो-सोशल मीडिया)
Bangladesh’s first female prime minister Khaleda Zia dies aged 80: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का मंगलवार को ढाका के एक अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह 80 साल की थीं। खालिदा जिया और उनके परिवार का न सिर्फ बांग्लादेश की राजनीति में, बल्कि देश के क्रिकेट के विकास में भी अहम योगदान रहा है> उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए उनके बड़े बेटे तारिक रहमान स्वदेश लौट चुके हैं। माना जा रहा है कि आगामी आम चुनावों के बाद वह बांग्लादेश के अगले प्रधानमंत्री बन सकते हैं।
खालिद जिया की दूसरे बेटे ने बांग्लादेश क्रिकेट को बढ़ाने में अहम योगदान दिया है। खालिदा जिया के दूसरे बेटे अराफात रहमान ‘कोको’ ने बांग्लादेश क्रिकेट के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 12 अगस्त 1969 को कुमिल्ला कैंटोनमेंट में जन्मे अराफात ने देश में क्रिकेट को मजबूत करने और युवा प्रतिभाओं को अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया।
अराफात ने डीओएचएस स्पोर्ट्स क्लब के अध्यक्ष के रूप में अपनी शुरुआत की। उनके मार्गदर्शन में क्लब ने 2002-03 में प्रीमियर डिवीजन में जगह बनाई। उन्होंने टीम के लिए पूर्व कप्तान अकरम खान को नियुक्त किया और श्रीलंका के क्रिकेटर प्रेमलाल फर्नांडो को कोच बनाया। क्लब के लिए विशेष पिच और ऑस्ट्रेलिया से गेंदबाजी मशीन मंगवाई गई। इन प्रयासों से क्लब ने दो बार प्रीमियर डिवीजन का खिताब जीता। इसी क्लब से बांग्लादेश के पूर्व कप्तान तमीम इकबाल ने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत की थी।
2001 में खालिदा जिया के प्रधानमंत्री बनने के बाद, अराफात ने सरकार में पद लेने के बजाय बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड के विकास परिषद के अध्यक्ष के रूप में काम किया। उनके नेतृत्व में मुशफिकुर रहमान, शाकिब अल हसन और तमिम इकबाल जैसे दिग्गज खिलाड़ी उभरे। उन्होंने 2004 में बांग्लादेश में आयोजित अंडर-19 विश्व कप की सफलता सुनिश्चित की, जिसका आनंद 4 लाख से अधिक दर्शकों ने लिया।
यह भी पढ़ें: विजय हजारे ट्रॉफी में CSK के गेंदबाज का कहर, हिमाचल प्रदेश के खिलाफ लिए 7 विकेट; कौन है ये खिलाड़ी?
अराफात रहमान का योगदान केवल खिलाड़ियों तक सीमित नहीं था। उन्होंने बोगुरा के शहीद चंदू स्टेडियम के निर्माण और मीरपुर के शेर-ए-बांग्ला स्टेडियम के विकास में भी अहम भूमिका निभाई। उन्होंने 2003 में देश में टी20 क्रिकेट की नींव रखी और 2012 में बांग्लादेश प्रीमियर लीग की शुरुआत में मार्गदर्शन दिया।
हालांकि 2005 में उन्होंने बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड से अलग हो गए, लेकिन उस समय तक देश का क्रिकेट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हो चुका था। 24 जनवरी 2015 को मलेशिया में हार्ट अटैक के कारण मात्र 46 साल की उम्र में अराफात रहमान ‘कोको’ का निधन हो गया। उन्हें बांग्लादेश क्रिकेट को शून्य से शिखर तक ले जाने वाले शिल्पकार के रूप में याद किया जाता है।






