कपिल देव और टीम (सौजन्यः सोशल मीडिया)
स्पोर्ट्स डेस्क: भारत में क्रिकेट तो अंग्रेजों के जमाने से खेला जाता रहा है। लेकिन तब क्रिकेट के लिए जुनून तो दूर की बाद है किसी भारतीय को इस खेल में रुचि भी नहीं थी। लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि भारत में क्रिकेट के लिए लोग दीवाने हो गए। लगान और ऑलराउंडर जैसी फिल्में बनाई जाने लगीं। क्रिकेट का जुनून बच्चे-बच्चे पर ऐसे चढ़ा कि यह मैदान से निकल कर गलियों तक पहुंच गया।
क्रिकेट को इतना पापुलर करने के पीछे जिस खिलाड़ी का हाथ है आज यानी सोमवार को वह अपना 64वां जन्मदिन मना रहा है। ये वही खिलाड़ी है जिसने अपनी कप्तानी में उस दौर की सबसे ख़तरनाक टीम वेस्टइंडीज को पटककर विश्वकप ट्रॉफी पर कब्जा कर लिया। अब तक आप समझ चुके होंगे कि हम कपिल देव की बात कर रहे हैं। आज उनका जन्मदिन है। तो चलिए इस मौके पर हम उसकी जर्नी के बारे में बात करते हैं।
कपिल देव 1983 क्रिकेट विश्व कप में भारत की कप्तानी कर रहे थे। उन्होंने इस विश्व कप में कई रिकॉर्ड बनाए और भारत को पहली बार विश्व कप का खिताब जिताया। कपिल देव ने जिम्बाब्वे के खिलाफ 138 गेंदों में नाबाद 175 रन बनाए। उस समय वे छठे नंबर पर बल्लेबाजी कर रहे थे। कपिल देव की कप्तानी में भारत ने दो बार की विश्व चैंपियन वेस्टइंडीज को 43 रनों से हराया था। इस विश्व कप में भारतीय गेंदबाजों ने भी अहम भूमिका निभाई थी। रोजर बिन्नी ने 18 और मदन लाल ने 17 विकेट लिए थे। कपिल देव भी 12 विकेट लेकर सातवें नंबर पर रहे थे।
कपिल देव का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर (1978-1994) 16 साल तक चला। उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ क्वेटा वनडे से अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर की शुरुआत की थी। यह मैच 1 अक्टूबर 1978 को खेला गया था। इसी महीने की 16 अक्टूबर को कपिल ने टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया था। यह मैच पाकिस्तान के खिलाफ फैसलाबाद में खेला गया था। इसके 16 साल बाद कपिल ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया। उन्होंने अपना आखिरी वनडे मैच वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला था। यह मैच 17 अक्टूबर 1994 को फरीदाबाद में खेला गया था।
कपिल देव वो भारतीय गेंदबाज हैं जिन्होंने विपक्षी बल्लेबाजों के मन में भारतीय गेंदबाजों का डर पैदा किया और उन्हें भारतीय गेंदबाजों के खिलाफ हेलमेट पहनने पर मजबूर कर दिया। दरअसल, पहले विपक्षी टीम का कोई भी बल्लेबाज भारतीय गेंदबाजों के खिलाफ हेलमेट नहीं पहनता था, लेकिन कपिल देव की गेंदबाजी से दुनिया के बड़े-बड़े बल्लेबाज कांपते थे। उन्होंने 16 अक्टूबर 1978 को पाकिस्तान के खिलाफ फैसलाबाद टेस्ट में डेब्यू किया था।
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कपिल की महानता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने अपने 16 साल के क्रिकेट करियर में कुल 356 अंतरराष्ट्रीय मैच (131 टेस्ट और 225 वनडे) खेले। इस दौरान उन्होंने कुल 9031 रन (टेस्ट में 5248 और वनडे में 3783) बनाए, इसके अलावा उन्होंने गेंदबाजी में 687 विकेट (टेस्ट में 434 और वनडे में 253) भी लिए।