(डिजाइन फोटो)
नवभारत डेस्क: कोचिंग के व्यवसाय में मोटा मुनाफा कमानेवाले इतने लालची, स्वार्थी और क्रूर हो गए हैं कि छात्रों की सुरक्षा की उन्हें जरा भी परवाह नहीं है। दिल्ली के राजिंदर नगर स्थित राऊज आईएएस कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भर जाने से श्रेया यादव, तान्या सोनी और नेविन डेल्विन की डूबकर मौत हो गई। कोचिंग सेंटर भवन निर्माण नियमों का सरासर उल्लंघन करते हुए बेसमेंट में लाइब्रेरी और रीडिंग रूम बना रखा था जिसमें आने-जाने का सिर्फ एक ही दरवाजा था।
जब पास का नाला फूटने से बेसमेंट में पानी भरा तो दरवाजा बंद हो गया था और छात्रों के बच निकलने का कोई रास्ता नहीं था। 2 मिनट में 8 फुट पानी भर गया। बिजली नहीं होने से मेन गेट भी नहीं खुला और दोनों छात्राएं व छात्र डूब गए। दिल्ली में कोचिंग उद्योग अनाप-शनाप तरीके से बढ़ गया है तथा सुरक्षा को ताक पर रखकर आवासीय घरों में ऐसे सेंटर चलाए जाते हैं। दिल्ली की हालत लावारिस बनी हुई है। मुख्यमंत्री केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया जेल में हैं।
यूपीएससी परीक्षा पास कर आईएएस, आईपीएस बनने का स्वप्न देखने वाले छात्र देश के कोने-कोने से दिल्ली में कोचिंग लेने आते हैं। ऐसी जगह कोचिंग सेंटर चल रहे हैं जहां न ढंग का टॉयलट है न बिजली की सही वायरिंग। 2019 में सूरत के एक कोचिंग सेंटर में आग लगने से 20 लोगों की मौत हुई थी। छत पर बने कमरे में चलनेवाले इस सेंटर तक पहुंचनेवाली लकड़ी की सीढि़यों ने आग पकड़ ली थी जिस कारण निकलना असंभव था।
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इस हादसे के बाद दिल्ली के अग्निशमन विभाग ने जांच की तो पता चला कि शहर के अनेक कोचिंग सेंटर ने अग्नि सुरक्षा नियमों का पालन नहीं किया है। गत वर्ष मुखर्जी नगर के कोचिंग सेंटर में जब आग लगी थी तो छात्रों ने रस्सियों से उतरकर अपनी जान बचाई थी। इस समय राजिंदरनगर हादसे पर आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप हो रहे हैं।
एलजी पर भी दोषारोपण किया जा रहा है। इस राजनीति में असली समस्या पीछे छूट गई है। कहीं कोई जवाबदेही नहीं है। महापालिका अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रही है। आखिर हाईकोर्ट को नालों की सफाई करने का निर्देश देना पड़ा जिसकी वजह से बाढ़ का पानी घरों में घुसता है। दिल्ली में 5,000 कोचिंग और सेल्फ स्टडी सेंटर हैं जिनमें से 60 प्रतिशत के पास ही फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट है। दिल्ली महापालिका ने बेसमेंट में चल रहे 13 कोचिंग सेंटर की पहचान कर 3 को सील कर दिया है। खराब टाऊन प्लानिंग और गैरजिम्मेदारी की वजह से यह दर्दनाक हादसा हुआ। ऐसी अव्यवस्था आखिर कब तक चलेगी? लेख चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा