(डिजाइन फोटो)
भारत में एग्जिट पोल ने अपनी साख बुरी तरह खो दी है जबकि ब्रिटेन के एग्जिट पोल 99 फीसदी तक खरे उतरने की वजह से अत्यंत विश्वसनीय माने जा सकते हैं। भारत के एग्जिट पोल का यह कहकर बचाव नहीं किया जा सकता कि हमारा देश ब्रिटेन से काफी बड़ा है तथा विभिन्न वर्ग, जाति, भाषा, समुदाय व राजनीतिक पार्टियों की तादाद अधिक होने से इस तरह के पोल के नतीजे गड़बड़ा गए।
इस तथ्य को मानना होगा कि भारत में एग्जिट पोल की प्रक्रिया साइंटिफिक और व्यवस्थित नहीं है। यहां रैंडम सैंपलिंग होती है जो इसकी असफलता का बड़ा कारण है। हमारे यहां अधिकांश एग्जिट पोल बाजारी ताकतों के हाथों में खेलते हैं और जनमत को गंभीरता से लेने की बजाय मनमाने आंकड़े डालकर ऐसा पोल सर्वे बना देते हैं जो ढोल में पोल साबित होता है। ब्रिटेन में 1992 से अब तक सभी एग्जिट पोल सटीक आए हैं।
भारत में सरकार से प्रभावित मीडिया हाउसेस और उनसे नसे जुड़ी संस्थाएं ऐसा एग्जिट पोल बनाती हैं जो निष्पक्ष न होकर सत्तारूढ़ पार्टी या गठबंधन के पक्ष में झुका होता है। और उसे बढ़ा-चढ़ाकर बहुमत देता है। अवश्य ही ऐसा करने के लिए उन्हें मोटी रकम का भुगतान किया जाता होगा। ऐसे एग्जिट पोल विपक्ष को पहले ही बुरी तरह हारा हुआ बता देते हैं। जब सत्तापक्ष अपने लिए अनुकूलता दिखाने वाले एग्जिट पोल कनकता बनवा लेता है तो जनता भी सोच में पड़ जाती है कि सारे एग्जिट पोल गलत नहीं हो सकते। जब असली चुनाव परिणाम सामने आते हैं तो ऐसे बोगस और भ्रामक एग्जिट पोल की कलई पूरी तरह खुल जाती है। भारत के लोकसभा चुनाव में यही हुआ था।
यहां हवाई किले बनाते हैं हमारे देश में हवाई किले बनानेवालों की कमी नहीं है। बीजेपी ने 543 सदस्यों की लोकसभा के लिए ‘अब की बार 400 पार’ का नारा लगाया गया जो भारत में पूरी तरह विफल हो गया लेकिन ब्रिटेन में कामयाब होता नजर आया। वहां लेबर पार्टी ने 412 सीटें जीत लीं। लोगों में 14 वर्ष से सत्तारूढ़ कंजरवेटिव या टोरी पार्टी के प्रति नाराजगी थी। उन्होंने बदलाव का वोट दिया। कंजरवेटिव सिर्फ 121 सीटों पर सिमट गए। भारत में बीजेपी ने आपरेशन लोटस के जरिए विपक्षी पार्टियों में तोड़फोड़ करने, विपक्षी नेताओं पर केंद्रीय जांच एजेंसियों का दबाव बढ़ाकर उन्हें अपने पक्ष में लाने के सारे हथकंडे अपनाए। इतने पर भी बीजेपी की लोकसभा सीटें 303 से घटकर 240 पर आ गई। उसके लिए 400 पार का नारा पानी का बुलबुला साबित हुआ।
ब्रिटेन में एग्जिट पोल क्यों सटीक साबित होते हैं इसकी वजह यह है कि यहां सैम्पलिंग उन्हीं स्थानों से की जाती है जहां पिछले चुनाव में की गई थी। ऐसा बिल्कुल नहीं होता कि किसी भी चुनाव क्षेत्र में जाकर कहीं से भी सैंपल एकत्रित कर लिया जाए। सैंपल के कुल टोटल पर ध्यान केंद्रित करने की बजाय रिसर्चर बूथ स्तर पर तुलना कर सकते हैं और समझ सकते हैं इस बार के चुनाव में वोट कैसे बदल गया है। इस परिवर्तन को आधार बनाकर सांख्यिकीय मॉडल का इस्तेमाल करते हुए वे हर संसदीय क्षेत्र के लिए अनुमान पेश करते हैं। वहां 130 मतदान केंद्रों पर 20।000 से ज्यादा लोगों से 20 प्रश्नोंवाली शीट भरवाई जाती है। इस तरीके से 650 सीटों का अनुमान निकल आता है। लेख चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा